हो इजहारे दिल की बात,आंखों ही आंखों में हम करें…
है ख्वाहिश चलें बाग़ में,डाल बाहों में बांह डालकर के,
कुछ सफ़र ही सही, साथ चलें हम होकर एक दूजे के!
हो चंद बातें ही सही प्यार की, साथ गुजार कर तुमसे,
हो इजहारे दिल की बात,आंखों ही आंखों में हम करें!
कुछ यूँ झील सी आँखों से,इस दिल की बात हो जाए,
सुबह से शाम कब हुई न ख़बर हो, फ़िर रात हो जाए!
न हो कोई फिक्र जहां की, न कोई शिकवा ज़माने से,
हो हमसफ़र मेरी फ़िर डर क्या,बादलों या तूफानों से!
हो चाय की दो प्यालियाँ, पूरे जो ख़्वाब छुटे अधूरे में,
मैं खो जाऊँ तेरी आंखों में,तुम खो जाना मेरे बाहों में!
कभी बारिश में भीगें साथ, तो कभी धूप में छांव बनें,
हर मौसम में,हर हाल में,एक-दूजे की हम पनाह बनें!
के कागज़ पर नाम लिख तेरा, हवा में उड़ा दूं मैं ऐसा,
हर लम्हा तुझसे जुड़ जाए, इस दिल को बना दूं ऐसा!
ग़र जो रूठे तो मना लूं तुझे, एक फूल की मुस्कान से,
तेरे हर दर्द को चुरा लूंगा,लगा तुझ पर अपनी जान से!
तेरा नाम हो धड़कनों में मेरी,हो तेरी यादें मेरे सांसों में,
हो ग़र आखरी सांस मेरी, सांस छुटे बस तेरी बाहों में!
हो इजहारे दिल की बात, आंखों ही आंखों में हम करें…
आंखों ही आंखों में हम करें…
डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली