माँ का रूप – राम और कृष्ण की जननी
माँ तू साक्षात् करुणा की मूरत,
तेरे आँचल में बसी है सृष्टि की सूरत।
जैसे यशोदा ने कृष्ण को झूला झुलाया,
वैसे ही तूने हर दुःख को मुस्कुरा कर भुलाया।
तेरे बिना राम वनवास भीअधूरा,
कौशल्या के आँचल ने दिया था धैर्य का साथ पूरा।
जन्म दिया तूने प्रभु को भी, यह तेरा ही मान,
मातृत्व के आगे झुके सारा ब्रह्मांड और जहान।
यशोदा की ममता में कृष्ण ने ली बाँसुरी की तान,
तेरे स्पर्श से खिलती है हर संतान।
तेरी गोदी ही प्रथम पाठशाला बनी,
जिसमें राम-कृष्ण जैसी विभूतियाँ पली।
हर युग में तूने ही ईश्वर को जन्म दिया,
माँ के बिना न कोई राम, न गोपाल जिया।
तेरी छाया में ही तो ईश्वर ने भी चैन पाया,
माँ, तूने हर युग में खुद को ईश्वर से ऊपर दिखाया।
इस मदर्स डे पर तुझे नमन बारम्बार,
तू है तो जीवन में नहीं कोई अंधकार।
राम-कृष्ण जिनकी गोदी में खेले,
उन माताओं को शत् शत् नमन, श्रद्धा के मेले।
मुनीश चौधरी
प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय लौदाना, जेवर , गौतमबुद्धनगर, उ.प्र.