आलेख

स्त्री का आत्मसम्मान के लिए संघर्ष

स्त्री की उड़ान अक्सर चुभती है कुछ नजरो को उसका खुद के आत्मसम्मान के लिए लड़ना तूफान सा मचा देता है जैसे खामोश सरोवर में किसी ने अपनी इच्छा का एक सिक्का उछाल कर उसमें हलचल मचा दी हो, जब तक वो खामोश हों झेलती है सब कुछ वो एक अच्छी बहु ,बेटी,ग्रहणी कहलातीं है […]

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Grok इंटरनेट की दुनियाँ का सर्वाधिक रहस्यमय स्वरूप प्रस्तुत करता दिख रहा है

Grok इंटरनेट की दुनियाँ का सर्वाधिक रहस्यमय स्वरूप प्रस्तुत करता दिख रहा है इसके पहले लोग हर प्रश्न का प्रामाणिक जवाब गूगल बाबा से पूँछने में पूरी सुविधा समझते और भरोसा करते थे, Googal भी अपने भीतर की ढेर सारी संग्रहित सामग्री से छाँट कर आपको जिज्ञासा शान्ति उपलब्ध कराता है, वही काम अब Grok

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नाजुक मन की उलझनें

विजय गर्ग। जीवन का प्रथम सोपान बचपन स्नेह, प्यार, ममता और नटखटपन में कब निकल जाता है, पता ही नहीं चलता । घर-परिवार में बच्चों की आमद, किलकारी और शरारतें घर के बड़ों को आह्लादित और आनंदित करती हैं। उनके साथ बिताए हुए पलों की अल्बम को जब भी खोला जाए, एक विशेष प्रकार की

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राजेश कुमार बौद्ध

ओमप्रकाश वाल्मीकि: हिंदी साहित्य में एक आन्दोलन – राजेश कुमार बौद्ध

राजेश कुमार बौद्ध । सामाजिक पीड़ाएं जब दबती है तो आंसू व सिसकियों में तब्दील हो जाती हैं, यहीं पीड़ाएं जब उभरती है तो जन आन्दोलन का रूप धारण करती है। और जब यही पीड़ाएं शब्दों का रूप लेती है तो साहित्य बन जाती हैं, और ” जूठन ” जैसी कालजयी रचना का जन्म होता

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श्रीरामचरित मानस के वो चरित्र जो सबसे हे दृष्टि से देखे जाते हैं

श्रीरामचरित मानस के वो चरित्र जो सबसे हे दृष्टि से देखे जाते हैं –  पं.जमदग्निपुरी

 पं.जमदग्निपुरी। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक है|इस पुस्तक को अनेकानेक लोग प्रतिदिन पढ़ते हैं|इसी पुस्तक को पढ़कर वैज्ञानिक डॉक्टर व्यास आदि मन माफिक धन अर्जित कर रहे हैं|इसी पुस्तक की कुछ चौपाइयों के अर्थ को अनर्थ बताकर कुछेक मूढ़ नेता गण अपनी दुकान भी चला रहे

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पुरुषों पर नारी का एकछत्र साम्राज्य

पुरुषों पर नारी का एकछत्र साम्राज्य

आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार। दुनिया भर के धुरन्धर ज्ञानियों-ध्यानियों, धर्मज्ञ, तत्ववेत्ताओं के होते हुये इस समाज में मुझ जैसा महामूर्ख भी है जो नर और नारी के बीच उनकी छुपी हुई प्रतिभाओं-कलाओं से हटकर नर में छिपी नारी को देखता है। पुरुषों में नारी पुरुषोत्तमा है जो अणिमा,लघिमा सिद्धिया है, प्रकृति में संध्या, ऊषा,

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पं.जमदग्निपुरी

फर्क साफ नजर आता है -पं.जमदग्निपुरी

पं.जमदग्निपुरी- पहले हमारे देश भारत में बड़े बड़े अपराधी आतंकवादी बड़े बड़े कांड करके देश से फरार हो जाते थे|वो ऐसे देश में जाते थे,जहाँ से भारत और उस देश से प्रत्यर्पण की संधि नहीं रहती थी|उसी में एक देश अमेरिका भी था|अमेरिका की खास बात यह थी कि वह किसी भी देश के दुर्दांत

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भारतीय साहित्य में समकालीन महिलाओं की आवाज़ें

भारतीय साहित्य में महिलाओं की आवाज विविध आख्यानों में योगदान करती है और सामाजिक मानदंडों को चुनौती देती है। भारत में महिलाओं के लेखन का विकास प्राचीन से समकालीन समय तक फैला हुआ है। यह यात्रा बदलती धारणाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण को दर्शाती है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्राचीन साहित्य प्राचीन भारत में, महिला कवियों और

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मधु लिमये

60 और 70 के दशक में एक शख्स ऐसा हुआ करता था जो कागजो का पुलिंदा बगल के दवाये हुए जब सांसद में प्रवेश करता था तो ट्रेजरी बेंच पर बैठने वालों की फूंक सरक जाया करती थी कि न जाने आज किसकी शामत आने वाली है जी हाँ जिक्र हो रहा है समाजवादी आंदोलन

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