भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के दौरान भारत सरकार द्वारा चलाया गया “ऑपरेशन सिंदूर” सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था — “भारत अब चुप नहीं बैठेगा”।जहां एक ओर हमारी सेना सीमा पर बहादुरी से लड़ रही थी, वहीं भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, दुनिया को यह दिखा रही थी कि भारत अब कमजोर नेतृत्व वाला देश नहीं रहा — अब यहां निर्णय लेने वाला नेतृत्व है।याद रखिए – निंदा और मौन से देश नहीं चलता।आज जो लोग मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं, शायद उन्हें वो दौर याद नहीं जब देश में एक के बाद एक आतंकी हमले होते थे — 26/11, मुंबई सीरियल बम धमाका, समझौता एक्सप्रेस बम धमाका, कश्मीर नरसंहार और इससे पहले कई ऐसे हमले होते थे जहां हमारे सैनिकों की सर कटी हुई लाशे आई है सिर्फ, उनके माता पिता मौजूदा सरकार से विनती करते रहे कि हमें उनका पूर्ण शरीर तो दे दीजिए जिससे उनका अंतिम संस्कार पूर्ण तरीके से हो सके।और सरकार सिर्फ “हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं” बोलकर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलती थी।
क्या भूल गए जब कांग्रेस की सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन ने पाकिस्तान के २६/११ के हमले का जवाब सिर्फ इसलिए नहीं दिया कि उन्हें इससे वोट बैंक का खतरा दिख रहा था कि हिंदुस्तान का मुसलमान नाराज़ हो जाएगा।तब ना कोई कार्रवाई होती थी, ना जवाब। और तब कोई ये नहीं कहता था कि ये तो चुनाव में फायदे के लिए किया गया राजनीतिक स्टंट है।तब तो सोनिया जी आतंकवादियों के मारे जाने पर दुख प्रकट करती थीं (बटला हाउस एनकाउंटर)अभी इस बार जब तक मोदी सरकार ने इस आतंकी हमले के खिलाफ कड़ा कदम नहीं उठाया था तो बहुत सारे लोग सोशल मीडिया में पोस्ट करके पूछ रहे थे कि मोदी जी कहा गई ५६ इंच की छाती, क्या हमारे लोगों को इंसाफ नहीं मिलेगा।
और जब जवाबी कारवाई हुई, तो वही लोग कहते हैं — “हम युद्ध नहीं चाहते”, “हम शांति चाहते हैं”, “हम युद्ध को सेलिब्रेट नहीं करते।” भाई कही तो अपनी बात पर सही रहो या ईमान का पानी मर गया है एकदम से।तो सवाल ये है — जब सरकार कार्रवाई नहीं करती तब गलत, और जब करती है तब भी गलत?भाई, जब उरी, पुलवामा, या कश्मीर में हमारे जवान शहीद हो रहे थे, तब ये शांति की बातें करने वाले लोग कहा थे । क्यों नहीं सामने आए थे? ये तो ऐसे लोग हैं जो आतंकवादियों द्वारा की गई नृशंस हत्याओं को भी न्यायोचित ठहराने लगते हैं कि उसके साथ कुछ गलत हुआ था । वो तो एक ग़रीब टीचर का बेटा था।भाई जो उनकी वजह से मारे जाते है उनकी क्या गलती थी । ये कि वो इंसान पैदा हुए थे या ये कि वो मुसलमान पैदा नहीं हुए या ये कि वो एक भारतीय नागरिक थे।
आज भी कुछ लोग सवाल उठा रहे है कि हमारी इंटेलीजेंस क्या कर रही है अभी तक उन आतंकवादियों को क्यों नहीं पकड़ा । अभी तक वो जिंदा कैसे बचे है।पहली बात तो ये कि जो लोग ये पूछ रहे है कि अभी तक वो बचे कैसे है इन्हीं में से बहुत सारे लोग तब उन आतंकवादियों के मानव अधिकार की बात करने लगेंगे जब वो पकड़े जाएंगे। और अगर वो मार दिए गए तब यही लोग पूछेंगे कि उनको जिंदा क्यों नहीं पकड़ा। ये तो बीजेपी की चाल है। इन्हीं लोगों ने सब कराया है इसीलिए मार दिया जिससे कि बात बाहर न आ जाएं।
और दूसरी बात जिस पहलगाम में ये हमला हुआ है वहां का क्षेत्र जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है इतना आसान नहीं है जितना हमें आपको लगता है, आप स्वयं ऑनलाइन ये सर्च करके निर्णय ले सकते हैं ।विपक्ष और कुछ मीडिया का पाकिस्तान प्रेम? सबसे दुखद स्थिति तब आई जब कुछ विपक्षी नेता और मीडिया के चेहरे पाकिस्तान की भाषा बोलने लगे।किसी ने ऑपरेशन सिंदूर को “राजनीतिक स्टंट” कहा, तो किसी ने भारत को ही उकसाने वाला बता दिया।
कुछ मीडिया घरानों ने तो बाकायदा पाकिस्तान के विश्लेषकों को बुलाकर भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाना शुरू कर दिया।और हमारे विपक्ष के नेता तो ऐसे ऐसे सवाल पूछ रहे है कि पाकिस्तान की मीडिया उनका उदाहरण दे रही है अपने प्रोपेगैंडा को सही ठहराने के लिए।
क्या वाकई देश की राजनीति इतनी गिर चुकी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी वोट बैंक की नजर से देखा जाए?एक सरकार जो सिर्फ बोलती नहीं, करती भी है।अब कई लोग कहते हैं कि भाई पिछली सरकार अच्छी नहीं थी , “इसलिए तो मोदी सरकार को लाया गया था।”
तो भाई, सरकार कर भी तो रही है।सीमा पर जवाब भी दिया जा रहा है और देश के अंदर विकास कार्य भी चल रहे हैं।
रेलवे, सड़कें, डिजिटल भारत, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप्स, स्पेस टेक्नोलॉजी — सब एक साथ आगे बढ़ रहा है।एक जिम्मेदार सरकार का काम सिर्फ युद्ध लड़ना नहीं, बल्कि देश को हर मोर्चे पर मजबूत बनाना है — और यही हो रहा है।
यहां आपको ये भी याद रखना चाहिए कि बहुत सारी विदेशी ताकते चाहती है कि भारत के विकास को किसी भी तरह रोका जा सके । और एक पूर्ण युद्ध किसी भी देश को कई साल पीछे कर देता हैं।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की संप्रभुता, प्रधानमंत्री मोदी जी की नेतृत्व क्षमता, और भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक है।
देश की सुरक्षा कोई राजनीति का मुद्दा नहीं, यह हमारे अस्तित्व का सवाल है।
जो लोग हर बार सरकार के हर कदम पर सवाल उठाते हैं, उन्हें एक बार देश के सैनिकों की आंखों में झाँक कर देखना चाहिए।मोदी जी की अगुवाई में आज भारत झुकता नहीं, जवाब देता है।और ये नया भारत है। सहनशील नहीं, सक्षम है।

-धीरज तिवारी
(समालोचक)