आओ आज उन शहीदों की भी बात कर लेते हैं हम,
आज क्रांतिकारियों के चरणों में शीश रख लेते हैं हम।
अंग्रेज दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए अपनी ताकत से,
तहे दिल से नमन वंदन और अभिनंदन करते हैं हम।।
देश बचाने के खातिर जिसने बलिदान दिया अपना,
गुलामी से मिले छुटकारा स्वच्छ गगन में उड़े है सपना।
चापेकर बंधु को नमन है,घमंड तोड़ा दिया अंग्रेजों का,
देश को बचाने खातिर जिसने शीश दे दिया हो अपना।।
देश की आजादी खातिर जिसने लहू बहाया है,
जिसने मातृभूमि को ही अपनी मां अपनाया है।
स्वतंत्रता का उगे सूर्य और अस्त हुए गुलामी भी,
जिसने हर युवा में क्रान्ति युग का संचार लाया है।
लेफ्टिनेंट आयस्टर को गोली मारी,धमाका कर दिया,
देश की आजादी की लड़ाई में प्रथम धमाका कर दिया।
डर गए अंग्रेज सैनिक देखकर चापेकर बंधु की ताकत,
देश आजाद होगा दुश्मनों के मुंह में लिफाफा कर दिया।।
स्वरचित कविता
प्रभात सनातनी “राज” गोंडवी
गोंडा-उत्तर प्रदेश