तुम्हारे साथ रहकर जाना मैंने

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तुम्हारे साथ रहकर जाना मैंने ,
हथेली में रेखाएं नहीं
रंग होते हैं
शामें बतियाती हैं ,
सहर संग
खतों से भी झरते हैं ,
पारिजात के पुष्प
तुम्हारे साथ रहकर जाना मैंने ,
कितना सुकून देती है ,
दुखों की चोरी
कितना ज़रूरी है ,
किसी मोड़ पर ठहरना भी
केवल मौन से ,
जीती जा सकती है दुनियां
तुम्हारे साथ रहकर जाना मैंने ,
कितना आसान है
आईने के बगैर
संवरना भी । 🍁

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