माँ का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे है
है जाबाज सिपाही देश के
देश पे कुर्बान होने निकले है
राखी,सिंदूर, कंधा,
और नन्ही नन्ही उंगलियां
छोड़ गांव की गालियां निकले है
है बुलावा भारत माता का कहकर
देश की शान में निकले हैं
माँ का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे हैं ……..
घर की दहलीज नजरे उतारे
कंधा कहे मै साथ हु भाई
सर का साया गर्व से कहता
तू जा बन कहर दुश्मन से लड़ना
मां का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे है…..
राखी कहती विजय हो भाई
जा राखी की बहनों के लाज तू रखना
आशीष ,प्यार है देश की बहनों का
घर में घुस कर दुश्मन के वार तू करना
माँ का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे हैं………
सिंदूर मांग का कहे प्रियवर
लाज रखना सिंदूर के मेरे
जो दुश्मन की गोली चले
सीना ताने तुम रहना युद्ध भूमि में
जीवन की हो सांसे अंतिम
फिर भी युद्ध भूमि में अडिग तुम रहना
माँ का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे है………
नन्हे नन्हे हाथों ने आकर
हाथ पकड़ कर माथे को चूमा
जाओ पापा जल्दी आना
नन्ही चीखों का बदला तुम लेकर आना
माँ का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे हैं ……..
आंखों में पानी था
पर मन में हौसला भर चले
दृढ़ निश्चय था मन में
और ढाल बनाकर सबका प्रेम ले चले
माँ का आंचल छोड़ कर
युद्ध भूमि में उतरे है…….
जिसके साथ थी दुवाएं ,आंचल,और कांधे की
हिम्मत बनकर था प्यार राखी और सिंदूर का
जिसके लिए गा रही थी विजय संगीत हवाएं
जिसके लिए विजय भव के नारे लगा रही थी
गलियां गांव की और शहर की
वो देश के सपूत भला कैसे ना अब युद्ध ये जीतेंगे
देश के दुश्मन के घर में घुस कर
आतंकवाद को इस भारत के वीर अब ख़त्म करेंगे
जय हिंद
जय भारत
इस देश की सारी बहनों का प्यार
और माँओ का आशीर्वाद आपके साथ है
मेरे देश के वीर जवानों
निरंजना डांगे
बैतूल मध्यप्रदेश
Your writing is not only informative but also incredibly inspiring. You have a knack for sparking curiosity and encouraging critical thinking. Thank you for being such a positive influence!