कविता – है हर दिल की यही पुकार,अब तो हो बस आर या पार…..
थी जो हरियाली से भरी, हमारी पावन धरती कभी,
इन नापाक इरादों ने कर दिया इसे है खून से लाल!
हर दिल धड़क रहा था, सुकून से इस धरा पर यारों,
है आज बेचैन हर घर परिवार, इस धरती का लाल!
है जिसने अंजाम दिया,आज उसे सबक देना होगा,
इन मीठी बातों को छोड़, कुछ न कुछ करना होगा!
बहुत हुआ अब शांति वार्ता,है बहुत हुआ भाईचारा,
हुए उन शहीदों का बदला, अब हमें भी लेना होगा!
हो इरादे लहरें समंदर सी, हर दिल में अब तो यारों,
कर इरादे मजबूत हमारे, ये एहसास दिलाना होगा!
हो धमकते बादल, गर्जन से थर्रा उठे आसमान जो,
ऐसे जुर्रत करने वाले को, है ऐसा सबक देना होगा!
एक सबक ऐसा मिले, काँप उठे हर दुश्मन “प्रताप”,
स्वाभिमान की ये ज्वाला,हर दिल में जलाना होगा!
अब तो बात, बस हम कश्मीर की ही न करें यारों,
सरहद पार कर आक्रमण, पीओके भी लाना होगा!
छिप कर ऐसा दर्द भरा, खेल जो उसने शुरू किया,
ले बदला मुँह तोड़ जवाब, आज हमें भी देना होगा!
फ़िर न कर सके दुस्साहस और,न नजर मिला सके,
हर चिंगारी बन ज्वाला, ऐसा इतिहास रचना होगा!
है वीरता की वो गाथा जो अमर हो, लिखनी होगी,
अपने शौर्यता की परिचय, अब हमें भी देना होगा!
बहुत हुआ,है गले लगाया, भाईचारा भी देख लिया,
निज जाति देश की रक्षा,बस संकल्प हमारा होगा!
है बेचैन दिल सभी का, है हर दिल की यही पुकार,
हो उदघोष यारों फिर ये,बस हो जाए आर या पार!
डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली