बचपन की मीठी यादों को हम दिल में लिये चलते हैं |
जिस घर में रहा करते थे उस घर को याद किया करते हैं ||
माँ के हाथो से पिटाई पापा के हाथों से मिठाई |
बहिन भाई से लड़ाई उन सभी बातो को याद किया करते हैं ||
बचपन भी क्या था, न थी समझ क्यों कर रहे हैं हम पढाई |
अच्छा जीवन हम पाएं इस बात की थी तैयारी ||
अज्ञान से ज्ञान का सफर अंधकार से प्रकाश का सफर |
शुरू हुआ कब बीत गया इस बात का न पता चला ||
ये कब सच था कि पूरी होती नहीं सब इच्क्षाये |
पुरे होते हैं सब सपने जब थामे हम अपनी दृढता का हाथ |
और पाते हम अपने बड़ो का साथ ||
अब हम हैं कुछ नपे तुले से गुम हो जाते हैं बीती बातों में |
हर पल निभाते हे अपने वादों को पी जाते हैं दबी इच्क्षाओ को ||
बचपन की मीठी यादों को हम दिल मेँ लिये चलते हैं |
जिस घर मै रहा करते थे उस घर को याद किया करते हैं ||
द्वारा – मोनिका नौटियाल (उत्तराखण्ड )