तेरे बिना तो माँ, अधूरा ये जहाँ है…
माँ, तेरी यादों में बस जाऊँ ,
माँ, तेरी ऑचल में छिप जाऊँ…
है पुकारती तेरी यादें मुझे इस कदर,
हूँ डूब जाती, तेरी बातों में अक्सर मैं माँ,
तू ही बरकत, तू ही मन्नत, तू ही मेरी दुआ है,
तेरे बिना तो माँ, अधूरा ये जहाँ है…
माँ…ये कोई रिश्ता नही.. ये एक एहसास है,
जो है मेरी हर साँस में,,,,
यह प्यार अजीब नही, है बस थोड़ा अनोखा माँ.
हो भी कैसे न माँ, मैने तुम्हें माँ कह पुकारा है…
तू जान है, तू पहचान है मेरी,
तू हर राह में, हर मंज़िल की नई पहचान है मेरी…
साकार करती रहूँगी सपनों को मैं तेरी,
रखना अपना आशीष और देना हर कदम साथ मेरी…
माँ, तेरी यादों में बस जाऊँ,,
तेरी ऑचल में छिप जाऊँ माँ,
हां, तेरी ऑचल में छिप जाऊँ माँ…..
तेरी ऑचल में छिप जाऊँ माँ……
संगीता संपत
कोलाबा- मुंबई, महाराष्ट्र