है प्यार दिल में उसके मेरे, उसकी आँखें बता रही,
कर रही है इनकार, पर दिल उसकी गवाही दे रही,
जाऊँ जब सामने उसके मैं,छुप कर वो देखती रही!
उसकी आँखों से लगे, है ख़्वाब मेरा ही देख रही!
खुले केश तो लगे, जैसे आ गए काले बादल अभी,
उसकी झील सी आँखें लगे, है मुझे वो निहार रही!
उसका चेहरा है लगे, खिला हुआ कमल हो जैसे,
लगे केशो से गिरती वो बूंदें, हैं जैसे मोती गिर रही!
कभी नजरें झुका लेती, है बातें भी टाल देती कभी,
लगे दिल की धड़कन उसकी, मेरे नाम धड़क रही!
जब मेरे संग होती वो, लगे सारा जहाँ मेरा अपना,
अपने खूबसूरती- हँसी से, मेरा हर ग़म मिटा रही!
उसके झील सी आँखों के, गहराई में है राज छिपा,
वो गुलाबी पंखुड़ियों से, महक फिज़ा में घोल रही!
दिल चाहे सब कुछ भुला, बस उसका हो जाऊँ मैं,
दिल में चाहत बसा मेरी,है अपना प्यार समझ रही!
दुनिया की भीड़ में हूँ खोया, और वो साया है मेरा,
हूँ हर पल साथ उसके, और आईने में तलाश रही!
डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली