पुरानी पेंशन

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पुरानी पेंशन है सपना प्यारा,
रिटायरमेंट में जीवन सहारा।
अब आई नयी कहानी,
एनपीएस की सुनो जुबानी।

कहते हैं — “जमा करो बस पैसे,
भविष्य बनेगा आपके जैसे!”
फिर शेयर बाजार में झूला झूलो,
कभी डूबो, कभी फलो-फूलो!

यूपीएस भी खूब मजेदार,
नाम बड़ा और दर्शन बेकार।
कागज़ी घोड़े, दौड़ते दिन-रात,
कर्मचारी दुखी होकर कहते अपनी बात।

सरकार बोले — “बचत है भारी”,
कर्मचारी बोले — “बर्बादी हमारी!”
बूढ़ी हड्डियाँ कांपे डर से,
सपने टूटें सुनहरे घर से।

पुरानी पेंशन थी जैसे छतरी,
बरसात में देती थी सुरक्षा पत्री।
अब न छतरी, न कोई किनारा,
सपनों का टूटा सारा सहारा।

हमें चाहिए फिर से वह अधिकार,
पुरानी पेंशन — जीवन का प्यार।
चाहे जितना समझाओ छल से,
न्याय मिलेगा हमारे बल से ।

मुनीश चौधरी
प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय लौदाना , जेवर, गौतमबुद्धनगर।
मो .न. 9536403430

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