July 2025

लघुकथा :_खोपड़ियों से वार्तालाप कल्पनाओं में सत्य की एक झलक

लघुकथा:_खोपड़ियों💀 से वार्तालाप🙀 कल्पनाओं की दुनिया में सत्य की एक झलक अचानक से तेज हसीं की और कोलाहल की आवाज कानों में पड़ी थोड़ी डरावनी सी आहट के साथ इसे सुन कर मैं कांप गई क्या था कुछ समझ नहीं आया कि तभी अचानक असंख्य मानव खोपड़ियों ने मुझे घेर लिया और घूमने लगी मेरे […]

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लघुकथा

अफसोस

अफसोस दिसम्बर का महीना था, अगहन मास था। सर्द हवाएं बह रही थी। शेखर आफीस के किसी काम से झारखण्ड के छोटे शहर में गया था। वैसे तो झारखण्ड का पहाड़ी इलाकों में सालों भर सर्दी लगती थी। अब तो वहां के मौसम में भी प्रदूषण के वजह से प्राकृतिक सौंदर्य को आघात पहुंचा है

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लघुकथा

गुरुपूर्णिमा

माँ 🙏 तू माता मै लाल तेरी तू अस्तित्व मै परछाई तेरी गर्भ में सीखी मैने गाथा सीखी रामायण और कृष्ण की बाल लीला नमन करु मै माँ तुम्हे तुम ही हो पहली गुरु पिताजी 🙏 तुम मेरी छत ,तुम ही हो ढाल मेरी तुम मुझमें बसा पराक्रम ,तुम ही हो दृढ़ निश्चय मेरा तुम

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कविता

मैं झुकी थी – इसलिए उठ सकी

आइये , सुनते है मनस्तगिति एक स्त्री की , अपने स्वर में कहती रची हुई एक गाथा की , अपने संघर्ष, अपनी अनुभूति और शक्ति को पाने की, यह यात्रा खुद सुनाती है — शांत, दृढ़, और आत्मस्वीकृत स्वभाव में लक्ष्य पास जाने की । यह कविता उस स्त्री की आवाज़ है — जिसने रास्तों

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कविता

शिव की कलम से

_तुम मत बदलना मेरे लिए_ कुछ- कुछ तुम वैसी ही हो जैसे ढलती शाम में आकाश में उमड़ते बादल कुछ स्याह कुछ रक्तिमा कुछ कुछ नीली पीली धूप लिए. कुछ कुछ तुम वैसी ही हो जैसे मक्खन कुछ घी कुछ पिघला मोम बस अब तक नहीं जान पाया एक क्राइटेरिया में तुमको फिट करना. जब

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कविता

किरदार

डालकर अपने किरदार पर पर्दा लोग कहते हैं जमाना खराब है लिवाज बदल लेने से किरदार नहीं बदलते ऐसे लोगों के किरदार की मेरे पास भी खुली किताब है हम रखते हैं पाक साफ दिल अपना और लोग यहां खबरदार नजर आते हैं ऐ खुदा जब भी मिलूं तुझसे मिलूं लोगों से मिलता हूं तो

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कविता

किसी से तो शिकायत कर रहा है वो

ग़ज़ल.. किसी से तो  शिकायत   कर  रहा  है  वो मग़र  खुद  से   मुहब्बत  कर  रहा  है  वो नहीं उसको गिला शिकवा  किसी से अब ख़ुदा  की  अब   इबादत  कर  रहा  है वो दुआयें  चल रही  हैं  साथ  जब तक  यह ज़माने   से   बगावत    कर   रहा   है  वो सिवा   उसके   नहीं   आदत   हमें   कोई ख़ुदा  बन  कर   इनायत  कर  रहा  है वो खमोशी   रास   आती   थी   जिसे  ‘राही’ सभी  से  अब  रफ़ाक़त  कर  रहा  है  वो ~ रसाल सिंह ‘राही’

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ग़ज़ल

सच्ची सुंदरता

लघुकथा सच्ची सुंदरता वो झुर्रियों भरी काया आज उदास बैठी थी कंपकपाते हाथों के साथ खुद को दर्पण में देख व्याकुल हो रही थी दर्पण यथार्थ को उजागर कर रहा था और चिढ़ाते हुए काया से बोला :_बोल मेरी सुंदरी आज नहीं इठलाएगी,आज नहीं खुद को निहार निहार कर घमंड के सागर में डुबकी लगाएगी,आज

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लघुकथा

तख्ती से टैबलेट तक

🖋️ तख्ती से टैबलेट तक तख्ती से टैबलेट तक की ये कहानी, कभी हँसी, कभी अश्रु की निशानी। कक्षा की धूल से स्मार्ट स्क्रीन तक, शिक्षक की बदलती पहचान की रवानी। कभी चौक से उड़ता था ज्ञान, अब क्लिक पे खुलते हैं ज्ञान-विधान। पर बच्चों की आँखों से दूर हुआ मन, संस्कार कहाँ हैं —

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कविता

दुख का व्यापार

दुख का व्यापार सोशल मीडिया का हर तरफ इस तरह प्रभाव छा रहा की इंसान अपना दुख भी बेचता नजर आ रहा कभी खुद को रोते बता रहे कभी मां बाप के आंसू दिखा रहे छुपाया करते थे जिन चीज़ों को उनको खुलेआम जता रहे लाइक्स….व्यूज बढाने के लिए कुछ भी कंटेंट बना रहे अपने

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कविता

आलेख बालिका शिक्षा-पी.यादव ‘ओज’

शिक्षा’ जिसके माध्यम से मनुष्य यह जान पाता है कि जीवन में उसके होने का महत्व क्या है।जन्म का उद्देश्य क्या है।उसके स्वयं की,परिवार,समाज,देश और विश्व के प्रति उसकी जिम्मेदारियां क्या है?’शिक्षा’ जहां मनुष्य को आत्म-विकास से लबरेज करती है।वहीं स्वालंबन एवं श्रेष्ठ जीवन की ओर प्रेरित भी करती है।’शिक्षा’ हर मनुष्य को चरित्र संपन्न,विचारवान

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आलेख
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