*नया मोड़*
—————————-
मन में नयी आगाज़ हुई
नए भावों का आगमन हुआ
सुसंस्कृत शब्दों का गठजोड़ हुआ
पंकील विचारों का परिष्कार हुआ
व्यवहार में चरित्र का वास हुआ
बुद्धि में विवेक का समन्वय हुआ
उदासीनता से रागात्मक वृत्ति हुई
कोलाहल में शंखनाद हुआ
जड़ता से चेतन हुआ
पूर्णिमा दीदी का सान्निध्य मिला तो
कविता को नया मोड़ मिला
चारित्रिक गुणों का सहयोग मिला
लेखनी को नयी राह मिली
विसंगतियाँ दूर हुई
मन में नयी आगाज़ हुई…
नव चेतना का विकास हुआ..
– डॉo ब्रजेश बर्णवाल
सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय, सरायकेला