फिर बजी है रणभेरी, हाथों में ले लो तलवार
दुश्मन की सीमा में घुसके करना होगा संहार
सरहद के कोने कोने, देशप्रेम का भाव जगाएं
भले शहीद होके भी मरघटों का शृंगार बन जाएं
संकट के बादल छाए, समर की बेला मतवाली
शोणित का उबाल देखो, आँखों में छाई है लाली
पाक के नापाक इरादे, पल में नेस्तनाबूद करेंगे
पृथ्वी, ब्रह्मोस और नाग, भारत को मजबूत करेंगे
केवल शांति के पुजारी नहीं, रुद्र के भी अवतार हैं
निखिल जगत् ने भी देखे, राफेल के कठोर प्रहार हैं
प्रलयंकारी बनकर भी माटी का मोल चुकाना है
कालकूट पीके भी अब मृत्यु की सेज सजाना है
उठो देश के वीर सपूतो! सुनो माँ भारती की पुकार
सीमा के रक्षक बनकर, हाथों में लो फिर हथियार।
मनोज कुमार व्यास
उप प्राचार्य, राउमावि, रायधनु