August 2025

पुस्तक समीक्षा: संवेदनाओं और जीवन-दर्शन का अनूठा संगम है-कितनी बार कहा साथी (पातियाँ प्यार की) काव्य संग्रह

पुस्तक: कितनी बार कहा साथी – पातियाँ प्यार की लेखक –  हरेंद्र “हमदम” दिलदारनगरी प्रकाशक – इंकलाब पब्लिकेशन मुंबई , महाराष्ट्र मूल्य : 499 रुपए (हार्डकवर)   हरेंद्र “हमदम” दिलदारनगरी का काव्य-संग्रह कितनी बार कहा साथी (पातियाँ प्यार की) प्रेम, संवेदनाओं और जीवन-दर्शन का अनूठा संगम है। यह संग्रह केवल भावनाओं का संकलन भर नहीं […]

पुस्तक समीक्षा: संवेदनाओं और जीवन-दर्शन का अनूठा संगम है-कितनी बार कहा साथी (पातियाँ प्यार की) काव्य संग्रह Read More »

पुस्तक समीक्षा

कृष्ण का दीदार

*डॉo ब्रजेश बर्णवाल का साहित्यिक परिचय* —————————————————————- इनका नाम डॉo ब्रजेश बर्णवाल है। इनका जन्म 10 जून 1993 को हुआ था। ये अशोक बर्णवाल एवं यशोदा देवी के संतान हैं। ये झारखण्ड राज्य के गिरिडीह में स्थित सिंघो गांव के निवासी हैं। लगभग पांच वर्ष की अवस्था में ही इनके पिताजी का देहावसान हो गया।बचपन

कृष्ण का दीदार Read More »

कविता

१५ अगस्त ७९वीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूर्व नायब सूबेदार प्रशांत तिवारी जी का हुआ सम्मान

१५ अगस्त और श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ दिवस पर ‘ काव्यसृजन ’ व ‘ नवांकुर ’ परिवार के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया। यह भव्य आयोजन अंधेरी, साकीनाका में श्री राम जानकी मन्दिर के प्रांगण मे मनाया गया। काव्य गोष्ठी के साथ काव्य प्रतियोगिता का भी आयोजन रखा

१५ अगस्त ७९वीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूर्व नायब सूबेदार प्रशांत तिवारी जी का हुआ सम्मान Read More »

साहित्य समाचार

MERI MAA

” मेरी माँ ” मेरी माँ है सब से प्यारी | सबसे अच्छी जग में न्यारी || लोरी गाकर मुझे सुलाती | भोर हुई तो मुझे जगाती || हाथ पकड़ कर चलना सिखाया | भले बुरे का ज्ञान बताया || सबसे बड़ा यही है ज्ञान | माँ का सदा करो सम्मान || माँ की सेवा

MERI MAA Read More »

कविता

मां की सीख

लाख तानों से तेरे आत्मविश्वास को डिगाया जाएगा तुझे तेरी ही क्षमताओं पर शंका करने को उकसाया जाएगा तेरे बस का नहीं है ये हर बार तुझे समझाया जाएगा तेरे मूल्य को तेरी ही नजरों में गिराया जाएगा उस वक्त धैर्य से सब सुन नजरअंदाज करना तुम बस खुद पर ही विश्वास करना क्यूंकि मेहनत

मां की सीख Read More »

कविता

बैरी चांद

मैं मेरी जिंदगी से प्रिया को भुला चुका था। शायद मैंने उसको अपने जीवन का एक सपना मान लिया था सोचा था कि सपने तो सपने होते हैं। मैं अपने जीवन मे प्रिया की कमी महसूस तो करता था, पर अब मैं कुछ नहीं कर सकता था।क्योंकि प्रिया की शादी हो चुकी थी और अब

बैरी चांद Read More »

कहानी, लघुकथा
Shopping Cart
Scroll to Top