तेरी यादों में बस जाऊं, तेरी ऑचल में छिप जाऊं मां,
हूँ पुकारती तुझको, तेरे यादों में ही खो जाती हूँ मै मां!
हां तेरी बातों यादों में ही खो जाती हूँ मै मां……
तू ही बरकत, तू ही मन्नत, है तेरे बिना अधूरा जहाॅ हैं,
ये कोई रिश्ता,एहसास ही नहीं,मेरी हर सांस में मां है!
प्यार रहा अपने दिलों में,अनोखी सी अपनी पहेली है,
हो भी कैसे न मेरी मां, हर पल दिल से मैनें पुकारा है!
तू जान है,पहचान भी मेरी,हर राह में नई सोच भी है,
होगा सपना साकार आपका,हर पल तुम्हारा साथ है!
तेरी यादों में बस जाऊं, छिप जाऊँ मैं तेरी ऑचल में,
न दिखे एक पल,खोजती नज़रें मेरी,घर से आंगन में!
माॅ, आप मेरी जीवन की देन, मेरा जीने का पैगाम हो,
आप हो तो सब कुछ,आपके चरणों में मेरा प्रणाम है!
संगीता संपत
कोलाबा- मुंबई, महाराष्ट्र