पहलगाम आतंकी हमला

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निरंजना डांगे

पहलगाम आतंकी हमला🥹🥹
सभी निर्दोष लोगों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏🙏🙏

अम्बर की गर्जना किंचित लगी
रुद्र करुण स्वर के आगे
देख खून से लथपत मासूमियत को बेजान
धरा भी आलाप कर रही ईश्वर के आगे

धर्म अधर्म का कैसा ये यहां खेल रच गया
तूने सबको एक बनाया फिर मानव कैसे धर्म में बट गया
कैसा ये वहशीपन मानव भीतर बस गया
इनके बर्बरता के आगे राक्षस कुल भी शर्म से झुक गया

सिस्टम की लापरवाही कहे या धर्म का बंटवारा
वापस कहा से लाऊ मै अब वो हंसता खेलता संसार प्यारा
मेहंदी के हाथों में खून की ये कैसी रेखा
सफेद चोले को कैसे कह दूं बस किस्मत की लेखा

कैसे करु अनदेखी मै
आंचल में लिपटी चीखे नन्ही सी
नन्हे से अपलक इंतजार में बैठे वो नयना
कैसे कह दूं पलके झपकालो उजड़ गया है संसार उसका

दोषी हु क्या मै ही ये सोचूं
क्या मैं बन गई हु अब पुण्य से पाप की भी भागी
मेरे ऊपर कैसा है विष ये फैला
मिल गया जो रक्त में बन प्रवाह

मैने भेद ना जाना किसी में
फिर कैसे इंसान बट गया
मेरा स्वरूप ये बिलख रहा है
अब नहीं रही मै सुंदर सी धरती मां

निरंजना डांगे बैतूल मध्यप्रदेश

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