लघुकथा

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लड़की और जुगनू (लघुकथा)

बचपन से ही लड़की को जुगनू (खद्योत) को निहारना बहुत पसंद था। रात को कुछ जुगनू उसके कमरे में आ जाते थे। तब उसे ऐसा लगता था जैसे वह आकाशगंगा में तैर रही हो। जिस रात उसे जुगनू कम नज़र आते, वह उदास हो जाती थी।

“जुगनू से घर में आग भी लग सकती है।” लड़की की सहेली आँखें फाड़कर बोली।

वह भयभीत-सी घर लौटी और अपने कमरे के दरवाज़े-खिड़कियाँ बंद करने लगी ताकि जुगनू अंदर ना आ जाये। उसने महसूस किया कि अगर वह घर का काम नहीं करेगी तो वाक़ई इस घर में आग लग जाएगी।

बर्तन माँजते-माँजते वह चौंक गयी। एक भँवरा उसके कान के पास गुन-गुन करते हुए रौशनदान से रफ़ूचक्कर हो गया। वह टकटकी लगाये रौशनदान को देखने लगी –

‘जुगनू से घर में आग लग सकती है तो भँवरे से क्या होता होगा?’ वह असमंजस में थी।

अयाज़ ख़ान
वार्ड क्रमांक 11, सग्गम
जुन्नारदेव 480551
ज़िला छिन्दवाड़ा
मध्य प्रदेश
9098909158

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