इनका नाम डॉo ब्रजेश बर्णवाल है। इनका जन्म 10 जून 1993 को हुआ था। ये अशोक बर्णवाल एवं यशोदा देवी के संतान हैं। ये झारखण्ड राज्य के गिरिडीह में स्थित सिंघो गांव के निवासी हैं। इन्होंने सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में स्नातक, स्नातकोत्तर(गोल्ड मैडलिस्ट ), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षा स्नातक व ग्लोबल अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से हॉनररी डॉक्टरेट की पढ़ाई की हैं। ये 10 वर्षों से लिख रहे हैं। इन्होंने अपनी पहली रचना का सृजन 2014 में किया था। ये अब तक 150 रचनाओं का सृजन कर चुके हैं। इनके अनुसार लेखन एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति का हथियार है। ये पेशे से एक आचार्य हैं। वर्तमान में ये विद्या भारती झारखण्ड के सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला में हिंदी आचार्य के रूप में कार्यरत हैं।इनका मानना है कि “शिक्षक को कभी भी स्वार्थी नहीं होना चाहिए क्योंकि शिक्षक या आचार्य के द्वारा ही देश भक्त का निर्माण होता है सम्पूर्ण राष्ट्र शिक्षक पर ही निर्भर है “।इनके मनपसंद रचनाकार रामधारी सिंह दिनकर व गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। इनकी मनपसंद महाकव्य रामचरित मानस व रश्मिरथी है/ इन्हें कविता, कहानी व उपन्यास पढ़ना अत्यंत पसंद हैं। इन्हें कविता , कहानी एवं कोट्स विधा में लिखना पसंद हैं। ये हिंदी भाषा में रचनाओं का सृजन करते हैँ।इनके द्वारा सृजन की हुई इनकी मनपसंद रचना प्रेम तथा नारी तुम्हारी यही कहानी हैं। ये अब तक 40 से 50 कवि सम्मेलन में जुड़कर उसकी शोभा व गरिमा बढ़ा चुकी/चुके हैं। ये विश्व हिंदी परिषद , ज्ञान शक्ति सेवा फाउंडेशन, हमरंग फाउंडेशन, विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति, जोहार,अंतराष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार, ज्ञानोत्कर्ष, बिहार हिंदी साहित्य मंच, विचार क्रांति साहित्य सेवा, श्रेया क्लब एवं नवल साहित्य, देवनागरी उत्थान सेवा संघ, राधाकृष्णन शिक्षक समूह साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। ये अब तक 30साझा संकलन/संकलनों/पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हें अब तक 200 सम्मान व 40पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
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क्या हो गई ?
ये धरा राम की
माताएं जो थी पूजी जाती
उन्हें दुत्कारा जाता है
पिता थे जो संबल सभी का
बोझा उन्हें समझा जाता है
शान थी सच्चाई की जहां
झूठा राज चलाता है
मेहनत करने वाले सदा
ठोकर खाते फिरते हैं
अभिमानी कामचोर सदा
आराम फरमाते रहते हैं
धर्म को मजाक समझकर
हैवानियत को पूजे जाते हैं
क्या हो गई?
ये धरा राम की
इंसाफ कमरे में छिपकर रोता है
बेईमान बेखौफ घूमता- फिरता है
सच्चाई थर – थर कांपती है
झूठा राज चलाता है
गाय को जानवर समझकर
गोहाल में रखी जाती है
कुत्ते को यार समझकर
सर पर चढ़ाए जाते हैं।
डॉ. ब्रजेश बर्णवाल
सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय,सरायकेला