अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
था अपना कभी बनाया, है अब बेगाना कर दिया।
टूटे अरमानों की चुभन सीने में बसती है अब मेरे,
हर साँस यादों की परछाई से, था ऐसा भर दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
जो ख्वाब हमनें साथ बुने थे रेशम से कोमल सी,
काँटों से भरी जिंदगी, आँखें हैं बोझल कर दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
है तेरे बिना ये चाँदनी भी सूनी लगती थी मुझको,
दिल की मेरे धड़कनों को, बस अधूरा छोड़ दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
वो तेरी हँसी की खनक,अब है सन्नाटों में डूब गई,
वो मीठी सी बातें जैसे हवाओं में तुमने बहा दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
न शिकवा रहा अब, न कोई शिकायत मुझे तुमसे,
बस तुमने बना बेगाना मुझे, है हकीकत कर दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
जो तेरे नाम की मैं माला जपता रहा हर दिन रात,
अब है जिंदगी का साथी मेरे मयखाना बना दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
तेरी जुदाई ने मुझसे है मेरा सुकून छीन भी लिया,
हर खुशी का रंग ग़म और जाम में है बदल दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
अब तन्हा हैं रातें, और है आँखों से बहे बस पानी,
तेरे बिना ये ज़िंदगी,बस वीरानी जिंदगी कर दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
मगर दिल को हुई तसल्ली एक बात की अब मेरे,
थी मोहब्बत तुम्हें मुझसे,उसे इतिहास बना दिया!
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया,
डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली