कविता १
औंधा घड़ा (मूर्खता)
वाह री बिटिया तू गजब करे है
औंधे घट (मटका)में नीर भरे है
नफरत की इस वैली (घाटी)में
तू प्रीत का बहता झरना ढूंढे हैं
वाह री बिटिया तू गजब करे है
औंधे घट में नीर भरे है
कोन रख विश्वास तू मन में
कांटो मध्य भीं फूल ढूंढे है
वाह री बिटिया गजब करे है
औंधे घट में नीर भरे है
मानी मैं मन सांचों थारो
पर ना सारी दुनिया हैं थारी सी
फिर काहे इस मतलब की पोटली में
तू मोती की चमक ढूंढे है
वाह री बिटिया गजब करे
औंधे घट में नीर भरे है
जब तक घट सीधी ना हो
तू कैसे इसके भर पाये
थक जाएगी भरत भरत
पर एकं बूंद नीर ना भर पाएगी
ठीक इसी तरह आप एक अज्ञानी,एक मूर्ख व्यक्ति जो बिलकुल औंधे घड़े की तरह जिसने अपने आप को अपनी बुद्धिता को गलत आचरण गलत आदतों गलत व्यसनों में झोंक रखा है उसे आप कितना भी ज्ञान दो वो किसी मतलब का नहीं है जब तक उसकी इच्छा ना हो
🌿इच्छाशक्ति प्रबल भई जब
आत्मशक्ति आभाष हुआ
उड़ान भरी तब वीर हनुमाना
और लाँघ गए समुद्र विशाला 🌿
जीवन में हर कठिनाई ,विपदा ,या बुरी आदतें इन सब से निकलने के लिए इच्छाशक्ति प्रबल होना जरूरी है
कविता २
कविताएं कुछ कहती है
कविताएं कुछ कहती है
कहने को बहुत कुछ कहती है कविताएं
अविरल सी बहती है कविताएं
बाधा बन आती है कभी जो उलझन
उनको भी सुलझाती है कविताएं
कभी प्रीत,कभी पीर
कभी समर्पण,कभी त्याग
संग लेकर बहती है कविताएं
कभी काजल सी काली रात है कविता
कभी चांद की चांदनी संग खिलती है कविता
कभी विरह की अग्नि संग जलती कविता
कभी मिलन की ठंडक में मुस्कुराती है कविता
कहने को बहुत कुछ कहती है कविताएं
अविरल सी बहती है कविताएं
कभी आंचल की छांव लिए है
कभी धूप में छाया सा हाथ पिता का
कभी तन्हाई में तड़प रही है
बनकर वो बिलख रही हैं दर्द अनाथों का
कहने को बहुत कुछ कहती है कविताएं
अविरल सी बहती है कविताएं
कभी प्रेम की पराकाष्ठा संग है खिलती
कभी उत्पीड़न लिए बिखरती
कभी भाईचारे संग मिल तृप्त हो जाती
कभी दो गज जमीन के टुकड़े संग बट जाती
कहने को बहुत कुछ कहती है कविताएं
अविरल सी बहती है कविताएं
क्या समझोगे कविता मेरी
क्या समझोगे भाव ये मन के
क्या डूबोगे संग संग मेरे
कभी आंसुओ के सैलाब में
क्या कभी मुस्काओगे मुझ संग
इस अम्बर की खुली धूप में
अंतरमन की गहराई संग बनती मेरी हर पंक्ति
क्या आप भी पढ़ पाओगे इसको उस गहराई में जाकर
क्या समझ पाओगे अर्थ कविता का
क्या साकार करोगे नीलू की कविता
स्वरचि मौलिक
निरंजना डांगे
बैतूल मध्यप्रदेश