बन मिसाल लोगों की,फ़िर दुनिया छोड़ने की सोच.

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बन मिसाल लोगों की,फ़िर दुनिया छोड़ने की सोच.

खुला हुआ नीला आसमां,ऊँची उड़ान भरने की सोच,
है अंधेरा हर तरफ़,दूर तक रौशनी बिखेरनी की सोच!

तेरे नज़रों से झलक रही, उम्मीदों से भरी हुई किरणें,
उन बुलंदियों तक पहुँच, नीले आसमां छूने की सोच!

नित नए अरमान,रंगीन सपनों को दिखा रही दुनिया,
है चमचमाती चाँद को, ज़मीं पर ला रखने की सोच!

मोहब्बत और खूबसूरती से, भरी हुई ये दुनियां यारों,
किसी के दिल में, अपने लिए जगह बनाने की सोच!

ले हिम्मत की रौशनी, बढ़ आगे सच्चाई की राह पर,
हर दर्द को समेटे हर चोट को सहते, बढ़ने की सोच!

माना मुश्किलों का दौर है, कभी रुकना,थमना नहीं,
इन्हीं राहों पर आगे बढ़,इतिहास नई रचने की सोच!

तेरे सपने हों या हकीकत, फर्क नहीं यहाँ किसी को,
कर कोशिश दिल से, नई दुनिया है बसाने की सोच!

कभी ख़ुशी,कभी ग़म यहां,है फ़िर भी जीना सबको,
कर हिम्मत बढ आगे, लड़ संघर्षों से जीने की सोच!

होंगें सपने बहुत कुछ,है कोई राह यहां आसान नहीं,
मुश्किलें हल कर,सपनों को साकार करने की सोच!

हर तरफ़ झूठ,फ़रेब ही बस दिख रहा यहां “प्रताप”,
इंसानियत के रंग को पहचान,आगे बढ़ने की सोच!

सपनों का पीछा कर ऐसा ,हो पूरी दिल की हसरतें,
बन मिसाल लोगों की,फ़िर दुनिया छोड़ने की सोच!

डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली

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