कारे-जहाँ1 आजकल इस तरह बन गये,
ज़हीन2 ख़तरे में, इबलीस3 मोहतात4 बन गये!
ख़ुदा ने बनाया हमें उन्वान5 देकर – “इंसान”,
दैर-ओ-काबा6 बनाकर हम क्या से क्या बन गये!
सहीफ़ा7 जो दिया नेक बंदे को ख़ुदा ने,
जनाब खुद मसीहा, ईबादत के मरकज़8 बन गये!
ख़ुदा ही रहा मेरा मुस्तहक9 अजल10 से,
ये तो दुनिया के तकल्लुफ से रिश्ते बन गये!
मेरी मदारत11 करते थे, मुझसे मुनाज़ात12 करते थे,
सच बात जो मैने बोली, वो मेरे हरीफ़13 बन गये!
आलम-ए-तलब14 के ज़ब्र15 पायनाल16 हैं देखो तो,
“एहबाब” के रफ़ीक17 ही ज़फ़ाकार18 बन गये!
1. दुनिया के काम 2. समझदार 3. शैतान 4. सुरक्षित 5. शीर्षक
6. मंदिर-मस्जिद 7. आसमानी किताब 8. केंद्र 9. अधिकारी
10. जन्म 11. आवभगत 12. प्रार्थना 13. विरोधी
14. भौतिक संसार 15. अत्याचार 16. लाजवाब 17. दोस्त
18. अन्यायी