कविता

रोटी की परिभाषा

१- पिता को समर्पित हे पिता ! तुमको नमन, तुमको नमन, तुमको नमन हे पिता ! तुमको नमन, तुमको नमन, तुमको नमन   तुमसे है यह धरती गगन तुमसे है यह हंसता चमन तुमसे है यह मां की हंसी तुमसे है यह मेरा जन्म तुम सत्व में अस्तित्व में, निरपेक्ष में सापेक्ष में, तुम पुत्र […]

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कविता

जो बीत गई वो अमिट इतिहास हुई।।

” सम्राट अशोक जन्मोत्सव पर विशेष” नमो बुद्धाय साथियों , इतिहास की विभिन्न धाराओं को समेटे हर एक पंक्ति आपसे बहुत कुछ कहना चाहती है । अतीत की झलक प्रस्तुत करती ये मेरी कविता अग्रिम आभार सहित आप सब के बीच प्रस्तुत है “जो बीत गई वो अमिट इतिहास हुई ” जो बीत गई वो

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कविता

जग में मिली है सफलता तुझे

जग में मिली सफलता तुझे , कुछ अच्छा कर दिखाने में , इस संसार में आये हो तू तो , कुछ अच्छा करो शीघ्र करो , जग में मिली है सफलता तुझे । आये हो इस जग में जब तू , जन्म हुआ इस दुनिया में , श्रम करो परिश्रम करो तू , जग में

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कविता

हे भारत के होनहार वीर – सपूतों

हे भारत के होनहार वीर – सपूतों हे भारत के होनहार वीर – सपूतों , उठो फिर से दोबारा वीर – सपूतों , मातृभूमि पुकारा है आपको सदा , रणभूमि खाली है मेरे वीर- सपूतों , युद्ध की तैयारी करो वीर – सपूतों , हे भारत के होनहार वीर – सपूतों । रणभूमि में दुश्मनों

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कविता

जय प्रकाश वर्मा ऊर्फ कलामजी की 2 कविताएं

हे भारत के होनहार वीर – सपूतों हे भारत के होनहार वीर – सपूतों , उठो फिर से दोबारा वीर – सपूतों , मातृभूमि पुकारा है आपको सदा , रणभूमि खाली है मेरे वीर- सपूतों , युद्ध की तैयारी करो वीर – सपूतों , हे भारत के होनहार वीर – सपूतों । रणभूमि में दुश्मनों

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कविता
पं.जमदग्निपुरी

मैं शिव हूँ

*मैं शिव हूँ* मैं हूँ सनातन सर्व हित पीता हलाहल| मैं अपमान सहता न करता कोलाहल|| मैं अपनों के हित जीता रहता हूँ मस्त मगन| मैं पूर्ण हूँ परिपूर्ण हूँ न छलकता हूँ छलाछल|| मैं शिव हूँ सत्य हूँ सबसे सरल भी हूँ| मैं भोला हूँ सबके हित पीता गरल भी हूँ|| मैं सबका हूँ

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कविता

रसाल सिंह ‘राही’ की प्रेम कविताएँ

प्रेम में बंध कर ~~~ कौन हो आप क्या लगते हो आप मेरे मुझे आपसे इतना प्रेम क्यों है कुछ नहीं जानता मैं मग़र अब आप की ही तरह मुझे इन पहाड़ों से प्रेम है मुझे झील झरनों से प्रेम है मुझे क़िताबों से प्रेम है और मैं ये भी जानता हूँ कि प्रेम एक

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