अजमेर के गणपत लाल उदय को मिला “अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक रत्न” मानद उपाधि सम्मान

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अजमेर के गणपत लाल उदय को मिला “अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक रत्न” मानद उपाधि सम्मान

अजमेर, राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार और “सैनिक कवि” के नाम से विख्यात गणपत लाल उदय को नेपाल की प्रतिष्ठित संस्था “शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन, नेपाल” द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस कविता प्रतियोगिता में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए “अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक रत्न” मानद उपाधि सम्मान से अलंकृत किया गया है। लुंबिनी/नई दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित इस भव्य प्रतियोगिता में भारत सहित कई देशों के 2143 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपनी कविताओं के माध्यम से सहभागिता की। निर्णायक मंडल द्वारा रचनाओं के मूल्यांकन उपरांत 214 शिक्षकों को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक रत्न सम्मान और अन्य 46 रचनाकारों को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मित्र सम्मान प्रदान किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों का सम्मान करने के साथ-साथ नेपाल और भारत के सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करना, हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि का संरक्षण-संवर्द्धन तथा वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार करना था।

संस्था के अध्यक्ष आनंद गिरि मायालु ने अपने संबोधन में कहा कि समाज परिवर्तन के संवाहक बन चुके ऐसे शिक्षकों पर उन्हें गर्व है, जिन्होंने शिक्षा और साहित्य को मानवता के हित में समर्पित किया है। उन्होंने सभी सहभागी रचनाकारों को हार्दिक बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। अजमेर के गणपत लाल उदय को यह सम्मान उनके शिक्षा, साहित्य और समाज सेवा में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया गया है। गणपत लाल उदय इससे पहले भी अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित हो चुके हैं, जिनमें विश्व हिंदी रत्न मानद उपाधि सम्मान, लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड होल्डर, इंटरनेशनल ह्यूम वर्ल्ड रिकॉर्ड, फॉरएवर स्टार बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड, देशरत्न अवॉर्ड नई दिल्ली, नेशनल आइकॉन अवॉर्ड नई दिल्ली, गोल्डन एरा बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, द टारगेट बुक ऑफ रिकॉर्ड, ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड, डॉ. बी. आर. अंबेडकर सेवा रत्न सम्मान, द आइडियल इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडियन बेस्टीज़ अवॉर्ड जयपुर जैसे सम्मान प्रमुख हैं।

उनकी देशभक्ति और प्रेरक रचनाओं पर आधारित पुस्तकें — “सैनिक की कलम से”, “सेवा भक्ति के प्रतीक”, “देशभक्त हैं हम भारत के”, “सीमा के प्रहरी” और “तिरंगा” — अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं और पाठकों द्वारा अत्यधिक सराही जा रही हैं। सरकारी सेवा में आने से पूर्व उन्होंने चार वर्षों तक निजी विद्यालयों में अध्यापन कार्य किया तथा वर्तमान में पुलिस प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। गणपत लाल उदय की यह उपलब्धि न केवल राजस्थान बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए गर्व का विषय है। उनकी यह सफलता यह प्रमाणित करती है कि सच्ची निष्ठा, रचनात्मकता और शिक्षा के प्रति समर्पण से व्यक्ति न केवल स्वयं को बल्कि अपने देश की गौरवगाथा को भी विश्व पटल पर स्थापित कर सकता है।

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