गुरुपूर्णिमा

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माँ 🙏
तू माता मै लाल तेरी
तू अस्तित्व मै परछाई तेरी
गर्भ में सीखी मैने गाथा
सीखी रामायण और कृष्ण की बाल लीला
नमन करु मै माँ तुम्हे तुम ही हो पहली गुरु

पिताजी 🙏
तुम मेरी छत ,तुम ही हो ढाल मेरी
तुम मुझमें बसा पराक्रम ,तुम ही हो दृढ़ निश्चय मेरा
तुम हो सीख अच्छे बुरे की,तुम ही हो पथ प्रदर्शक
नमन करु मेरे जन्मदाता पालन हार तुम्हे मै
तुम हो मेरे दूजे गुरु

परिवार और समाज 🙏
दादा दादी की गोद वो प्यारी
जिसमें बैठ सुनी कहानी
उस कहानी में शामिल थी दुनियादारी और शिक्षा जीवन की
पड़ोसियों संग मिलकर जाना मोल दिल के रिश्तों का
नमन है मेरा मेरे जीवन के उन गुरुओं को

गुरु 🙏

छोटी सी नन्ही सी मै
थोड़ी चंचल थोड़ी उदंड मै
शिक्षा के घर में जाकर सीखी
सदाचार और आचरण मै
कभी प्यार से कभी डाट कर गढ़ा भविष्य मेरा
नमन करु मै गुरुवर आपको आप हों मेरे भविष्य रचयिता

पांचवा गुरु

अभी तो भेट हुई इन्हीं से अभी जीवन की अंतिम सीढ़ी बाकी है जो कराए ज्ञान मुझे मृत्यु मोक्ष का उस गुरु की प्राप्ति बाकी है मै हु मूरख मै ना जानू मै तुच्छ सी हु प्राणी मिल पाऊंगी उस गुरुवर से या नहीं मै तो ये भी ना जानू
मै अभी हु मानव जीवन में फंसी मै आदि हु इस दुनिया के माया मोह की मुझमे अभी भी गुरूर है बाकी मुझमे अभी है किंचित अभिमान भी बाकी जब तक मुझमें है बाकी ये मै कैसे मिल पाऊंगी उस गुरुवर से
आत्मबोध की पहली सीढ़ी पर कदम अभी ही रखा है
कब पहुंचूंगी उस अंतिम सीढ़ी पर मै ना जानू बस प्रभु इस पथ पर ही रहूं अग्रसर बस इतनी सी कृपा मुझ पर करिए

निरंजना डांगे
बैतूल मध्यप्रदेश

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