मनोज कुमार व्यास की कविता – भारत भूमि कोटि-कोटि प्रणाम

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भारत भूमि कोटि कोटि प्रणाम

हे भारत भूमि! तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम
तेरी सात्विक धरा को बारम्बार प्रणाम।।

तेरे उत्तर में हिमालय पर्वतमाला है,
जिसका हर जर्रा मन मोहनेवाला है
यहाँ गंगा और यमुना का पावन संगम
यहाँ सभी चराचर स्थावर और जंगम
यहीं अवतरित हुए श्रीकृष्ण व राम।

भारत ऋषियों मुनियों की तपोभूमि है
अनगिनत महापुरुषों की जन्मभूमि है
प्रताप, शिवा और विवेकानन्द यहाँ,
नानक, कबीर, मीरां, दयानन्द यहाँ,
यहीं से फैला था भाईचारे का पैगाम।

रामायण और महाभारत धर्म की शान
सर्वत्र गूँजता तुलसी के मानस का गान,
गीता में सबको कर्म की महत्ता बताते हैं
वसुधैव कुटुम्बकम का पाठ भी पढ़ाते हैं
भारत का परचम लहराते हैं चारों धाम।

देश के कोने कोने हुए कितने भूप महान
वेद और पुराणों में लिखा दर्शन का ज्ञान
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और हैं गिरजाघर
कश्मीर केसर क्यारी से बना भारत सुन्दर
जगत् में गुंजायमान अपने देश का नाम।

मनोज कुमार व्यास, उप प्राचार्य
राउमावि जोधियासी

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