है आंसुओं की सैलाब,मेरे इन आँखों में छिपी हुईं,
पर साथ उसके, उम्मीद भरी किरण भी छुपी हुई!
इरादे बादलों से परे,और निकलेंगी किरणें सुनहरी,
जीवन के इन्हीं मुश्किलों में, सीख होती छुपी हुई!
पल पल पग पग होगी सफ़र, यूँ कांटों से भरी हुई,
कर कोशिश बढ़ा जो भी,सपने उसके साकार हुई!
उठ चलो मंज़िल की ओर,बढ़ो संग- संग मिलकर,
जिंदगी है सफ़र,जो है मिलकर चला, आसान हुई!
है मुश्किलों से भरी जीवन, सब की यहाँ “प्रताप”,
कर हौसला जो है बढ़ा,जीवन उसकी आसान हुई!
डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली