पढ़ लिख कर काबिल बनो
नारी तुम अपना भविष्य गढ़ों
समझो मोल किताबों का
और अपने लिए किताबें चुनो
छोड़ों चूड़ी ,कंगन, गहने सारे
माणिक, मोती ,कुंदन सारे
छोड़ो अभी श्रृंगार सारे
नारी तुम पहले चुनो अपने लिए किताबें
ज्ञान का एक दीपक जलाकर
कर लो रोशन,भविष्य के अंधेरे
कदमों में हो चाहत बढ़ने की
सपन हो अम्बर तक जाने के
इसलिए ये नारी तुम
पहले चुनो अपने लिए किताबें
संभाल सको परिवार अपना
जब भी आए कोई विपदा
बनकर एक मजबूत कंधा
साथ दे सको तुम अपनो का
इसलिए ये नारी तुम
पहले चुनो अपने लिए किताबें
जब कभी पीहर में सताई जाओ
बेवजह तुम आजमाई जाओ
प्रताड़ना की अंतिम हद तक
तुम सताई जाओ
कर सको तब तुम रक्षा खुद की
आत्मसम्मान को अपने बचा सको
इसलिए ये नारी तुम
पहले चुनो अपने लिए किताबें
स्वरचित मौलिक
दिनांक:- 4/4/2025
✍️ मै लेखनी मेरे सपनो की
निरंजना डांगे
बैतूल मध्यप्रदेश
शीर्षक
मै मांझी हु मांझा सभालु 🚣🚣
नव नाविक ने थामा मांझा
नौका चली संग लेकर दोस्तो एक टोला
हंसी,ठिठोली,संगीत की धुन संग
सफर हुआ ये और भी प्यारा
इस प्यारी सी बसंत बहार में
ये कैसा पतझड़ है आया
रुख बदला हवाओं ने
और एक बवंडर सा फिर आया
लहरों ने धरा स्वरूप विकराला
नौका डोली फिर पल पल
हृदय में डर का भूचाल सा आया
तभी नाविक ने कहा कुछ कैसा
हिम्मत का जिसने मन में अमृत सा घोला
मै मांझी मांझा सभालु
नौका को मै पार लगाऊं
तुम डरो ना तुम घबराओ
तुम ना अपना संयम खोओ
एक बस विनती है तुम से
भरोसा रख तुम मेरे साथ बढ़ों
मैं मांझी मांझा सभालु
नौका को मै पार लगाऊं
हों लहरों का हमला मुझपर
या बवंडर में मै फंस जाऊ
विश्वास का एक दीप जलाकर
डर के अंधकार को दूर भगाऊं
मै मांझी हु मांझा सभालु
नौका को मै पार लगाऊं
कर्तव्य अपना मै निभाऊं
तुम सब को तट तक पहुंचाऊं
मै मांझी हु मांझा सभालु
नौका को मै पार लगाऊं
आज मन में कुछ ख्याल नहीं था कुछ लिखने की कोशिश जो मै अक्सर करती रहती ही हूं बस वहीं कर रही थी क्या कविता लिखना चाहती हु नहीं पता था पर जब लिखने लगी मन के कुछ भाव जैसे अपने आप शब्द बन छप गये और इस कविता को एक नया स्वरूप दे गए
मेरी ये कविता मुझे आज दो बाते सिखा गई:_
एक की आप कोशिश करते रहे किसी भी कार्य को करने की सफलता अवश्य प्राप्त होगी
दूसरी की जीवन रूपी इस समंदर में कई बाधाएं कई बवंडर आयेगे पर आपको इस जीवन में एक मांझी बनना है और इच्छाशक्ति को हौसले को मांझा बनाकर जीवन के हर तूफान को पार करना है
✍️मै लेखनी मेरे सपनो की
निरंजना डांगे
बैतूल मध्यप्रदेश