दुख का व्यापार
सोशल मीडिया का हर तरफ
इस तरह प्रभाव छा रहा
की इंसान अपना दुख भी
बेचता नजर आ रहा
कभी खुद को रोते बता रहे
कभी मां बाप के आंसू दिखा रहे
छुपाया करते थे जिन चीज़ों को
उनको खुलेआम जता रहे
लाइक्स….व्यूज बढाने के लिए
कुछ भी कंटेंट बना रहे
अपने घर के झगड़ों को
खुलेआम पब्लिक में ला रहे
दुख के खरीददार वो हैं
जिनसे कोई भी रिश्ता नहीं
जो सहानुभूति दे रहे हैं
उस दुख से उनका वास्ता नही
समझ नहीं आता
की
कैसे भावनाओं का ऐसा अंत हुआ
इंसानियत का इतना पतन हुआ
कैसे किसी अपने को रोते देख
लोग वीडियो बना लेते हैं
कैसे उसके दुख को
सरेआम पब्लिक में उछाल देते हैं
कैसे किसी की लाश दिखाकर
पैसा कमाना चाहते हैं
कैसे ये सब कर के
सहानुभूति पाना चाहते हैं
बस सब कुछ पैसे का खेल है
इस आधुनिक तकनीक ने
निश्छल भावनाओं का भी
ऐसा पतन किया
की
इस दुनिया मे जो चीज़
सबसे कीमती हुआ करती थी
………आंसू…………….
उसे भी लोगो ने
पैसों के लिए बेच दिया
डॉ. माधुरी शर्मा
व्याख्याता हिंदी
भीलवाड़ा राजस्थान