रसाल सिंह ‘राही’ की प्रेम कविताएँ

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प्रेम में बंध कर
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कौन हो आप क्या लगते
हो आप मेरे
मुझे आपसे इतना
प्रेम क्यों है
कुछ नहीं जानता मैं
मग़र अब आप की
ही तरह मुझे
इन पहाड़ों से प्रेम है
मुझे झील झरनों से प्रेम है
मुझे क़िताबों से प्रेम है
और मैं ये भी जानता हूँ
कि प्रेम एक ऐसा शब्द है
जिसमें रब का वास है
प्रेम एक ताकत है
प्रेम अनमोल वचन है
प्रेम एक ऐसा बंधन है
जो तोड़ने से भी नहीं टूटता
जो किसी से भी हो
सकता है
जरूरी नहीं कि प्रेम
इंसान से ही हो
प्रेम किसी वस्तु से भी
हो सकता है
जो प्रेम की भाषा समझ गया
उसे फिर कुछ समझने की
जरूरत ही नहीं पड़ती
अग़र मुझे तुमसे इतना
प्रेम न होता तो
मैं कुछ नहीं लिखता
न कभी तुम्हें पढ़ता
न कभी तुम्हें सुनता
सब अधूरा छोड़ देता
तुम्हारी तरह
तुम्हारे प्रेम की तरह
मग़र एक बार तुम भी कभी
प्रेम में बंध कर देखना कि
प्रेम में बिछड़ने का
ग़म क्या होता है।।
__

“प्रेम क्या है”
~~~

प्रेम ही इबादत है
प्रेम ही पूजा है
प्रेम ही शक्ति है
प्रेम ही भक्ति है
किसी ने ज़ाहिर
नहीं किया
किसी से ज़ाहिर
नहीं हुआ
इस संसार में
ऐसा कोई इंसान
नहीं जिसको किसी
से कभी प्रेम
न हुआ हो
सब पूछ रहे हैं कि
प्रेम क्या है?
तो सुन लो सभी
रब की आराधना
ही प्रेम है
इसलिए प्रेम करो
तो सिर्फ अपने
रब से करो क्योंकि
जो आनंद रब की
भक्ति में है
वो आपको कहीं
नहीं मिलेगा!

परिचय

नाम – रसाल सिंह ‘राही’
जन्मतिथि – 08-05-1986
जन्म स्थान – लददा
शिक्षा – 12th
कार्य – प्राइवेट
माता का नाम – श्रीमती गीता देवी
पिता का नाम – श्री राजिंदर सिंह
पता – लददा उधमपुर (जम्मू कश्मीर)
संपर्क सूत्र -7006150966

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