लहू खौल रहा सबका, अब युद्ध आर-पार का होगा….

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डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 

 

हो ऐसी ललकार हर तरफ़ से, अब बदला लेना होगा,
शस्त्र उठा हाथों में यारों, दुश्मन को ललकारना होगा!

सरहद की माटी पुकारे, कब तक जुल्म सहना  होगा,
उठे दिलों में शौर्य-ज्योति,इस अंधेरे को हटाना होगा!

 

हैं तलवारें भी कहने लगी,हम पर धार नई कब होगी,
तैयार हैं बंदूकें सारी,अब हिसाब बराबर करनी होगी!

है वक्त नहीं रहा भाईचारे का, न दोस्ती न संवाद  का,
गरजे तोपें, बरसें बारूद,है रण का अद्भुत दृश्य होगा!

 

हर सीना ऐसा हो, सीने में गोली खाने से न डर होगा,
भारत भूमि के वीर लाल, हर  दुश्मन पर भारी होगा!

क्यूं डरें हम साजिश से, आगे और क्या अंजाम होगा,
कूद पड़ो रणभूमि में, है अमर कहानी,इतिहास होगा!

 

हर बूँद लहू की पूछ रही, कब तक ऐसा तांडव  होगा,
बहुत हुआ दोस्ती यारी,है अब चुप रहना गुनाह होगा!

होगा आक्रामक प्रहार हर ओर,है दुश्मन कांप उठेगा,
मिलकर ये दिखा दें हम ,कैसा भीषण रणघात होगा!

 

मिले जीत अपनी गोली,बारूद,तीर तलवारों से होगा,
हो दहशत शत्रु को हमसे, देख परछाई से मौत होगा!

हैं हिंदुस्तानी हम, डरते नहीं तूफ़ानों से कहना होगा,
लहू खौल रहा सबका,अब युद्ध आर-पार का होगा!
अब युद्ध आर-पार का होगा…..

डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली

– डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 

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