तू ही भगवान राम

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तू ही बालक हो , तू ही राम हो ,
तू ही मर्यादा हो , तू ही राम हो ,
शिशु रूप में तू ही हो धर्मात्मा ,
विष्णु रूप में तू ही रखवाला ,
प्रभु आपकी लीला तो अपरंपार।

कोमल – सी चरणों में कृपालु हो ,
न्याय की तलवार भी तू ही हो ,
पिता रूप में ममता की गूंज हो ,
प्रभु आपकी लीला भी तो न्यारी ,
धरा पर नीति में दिव्य ज्योति हो।

तू ही दशरथ पुत्र राम कहलाया ,
तू ही अयोध्या का राजा बना ,
धर्म युग का पथ – प्रदर्शक बना ,
बालक रूप से राजा राम तक ,
राम तेरी लीला अमर अनंत तक।

रचनाकार :-

🖊️ श्री जय प्रकाश वर्मा ऊर्फ कलामजी
हिन्दी साहित्यकार सह साहित्य सलाहकार
इंकलाब पब्लिकेशन मुम्बई (महाराष्ट्र)
📱9430574912

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