
ग़र टूटा दिल, तन्हाई संग होता यहाँ..
ग़र टूटता जब तारा आसमां में,
उसे देख मन्नत मांगते हैं यहाँ सभी,
न जानें टूटे हुए दिल को देख,
है क्यूं हसीं यहां उड़ाते यारों सभी!
टूटे दिल की चीखें हैं कौन सुने,
हर चेहरा मुस्कुराता है दिखता यहाँ!
अंदर की दरारें हैं दिखती नहीं,
बस ज़ख्मों पे नमक है डालते यहाँ!
है रोया चुपके से कोने में कोई,
तो कहते हैं उसे “कमज़ोर” है यहाँ!
दर्द दिखाना है गुनाह बन गया,
दुनिया है पत्थर दिल बन गया यहाँ!
था वह भी एक आसमान कभी,
जिसमें है ख्वाबों के तारे चमके यारों,
अब राख हो गई तमन्ना उसकी,
जोऔरों की रोशनी है होती थी कभी!
टूटता तारा है उम्मीदें बन जाती,
ग़र टूटा दिल, तन्हाई संग होता यहाँ!
तारों सी रखें उन्हें आसमां पर,
यारों वो दुआओं का हिस्सा थे कभी!
डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली
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