कुछ चाहत के मोती चुन अपनी झोली मैं भर लूँ I
और ढूब जाऊ ख्वाइशों के समंदर में कुछ मोती मैं चुन लू II
चुन चुन कर पिरोऊ उन मोती को हकीकत की माला में I
पहना दूँ ढूंडकर अपने अस्तित्व को ये मोती की माला मैं II
लहराऊं आकाश में बन पक्षी चहचहाऊ मैं बन मधुबाला I
चाहत के कुछ शब्द चुन पिरोऊ मैं बन जाये वो कविता की माला II
हर स्वप्न पूरा करुँ मैं , यह है मेरी अभिलाषा I
भर दूँ मैं दीवारों को कुछ ऐसे रंगो से , बोल उठे कुछ ऐसा चित्र बन II
भीग जाऊं मैं ख्वाइशों की बारिश मे I
बन मयूर मैं वन वन नाचूँ II
कुछ चाहत के मोती चुन अपनी झोली मैं भर लूँ I
और डूब जाऊ ख्वाईशो के समंदर में कुछ मोती मैं चुन लूँ ।I
द्वारा : मोनिका नौटियाल
( उत्तराखण्ड )