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अपना नव वर्ष मनाएंगे

अपना नव वर्ष मनाएंगे हवा चली पश्चिम की सारे कुप्पा बन कर फूल गये सन ईस्वी तो याद रहा अपना संबत भूल गये चारों तरफ नये साल का ऐसा मचा है हो-हल्ला बेगानी शादी में नाचे जैसे दिलदीवाना अब्दुल्ला धरती ठिठुर रही सर्दी से घना कुहासा छाया है कैसा यह नववर्ष है जिससे सूरज भी […]

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कविता

अनकहे जज़्बात

शब्द अधूरे लब्ज़ अधूरे, तुम बिन अधूरे है सुर सारे संगीत के मेरे आकर बस जाओ जो तुम इसमें गुनगुनाऊं मै तुमको इसके हर सुर में कुछ शब्दो में तुझे निहारूं कुछ में तेरा मासूम सा चेहरा कुछ सुरों में ढूंढू हंसी तेरी कुछ सुरों में वजह तेरी खामोशी की शब्द अधूरे लब्ज़ अधूरे तुम

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कविता
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