kumar vishwas ki kavita

हिन्दी दोहे- उदित करो शुभ कर्म

राना कहता आपसे,उदित करो शुभ कर्म। इसके पहले आपको,पड़े निभाना धर्म। हर कामों के धर्म हैं,जिनको कहें उसूल। राना होते है उदित,उसी तर्ज पर फूल।।   अंतराल से मित्र जब,आकर दे सम्मान। आज उदित कैसे हुए,हँसता राना आन।। अस्ताचल के बाद ही,सदा उदित हो भान। राना यह संसार का,सबसे सुंदर गान।।   अब गुदड़ी के […]

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कविता

दास्तान-ए-एहबाब

दास्तान-ए-एहबाब मैं गहरा और गहरा, गहराता जा रहा हूँ, अब क्या छुपाना, मैं खुदा के पास जा रहा हूँ! ना रोको मुझे के अब बढ़े क़दम मेरे, जाने दो मुझको मैं जहाँ जा रहा हूँ! ना घबराओ तुम ना जाऊँगा इस जहानं से, बस घड़ी दो घड़ी में लौट कर आ रहा हूँ! हंसता है

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ग़ज़ल
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