सफ़र कलम से,
“है ख्वाहिश दिल की,
रहना तुम मेरे दिल में……
तुम जो हो मेरी ज़िन्दगी, हो मेरे दिल की तमन्ना भी,
तुम ही हो मेरे बरसों की चाहत, मेरा दिल जुनून भी!
रहते हो पास मेरे, फ़िर भी है ढूंढ़ती नज़रें मेरी तुम्हें,
हो जाते ग़र मुझसे दूर, सपनों में भी दिल ढूंढें तुम्हें!
हर पल हर दिन देखते तुम्हें,बीते मेरी दिन और रातें,
न आए वो पल कभी, दूर हो मेरी दिल से तेरी यादें।
बस है इतनी सी चाहत,है इस दिल की आवाज़ भी,
साथ रहे एक दूजे बन,न हो नज़रों से ओझल कभी!
है ख्वाहिश दिल में मेरे,रहे बंधन जैसे डोर संग पतंग,
बन हमसफ़र एक दूजे के, है लिए सात फेरे तेरे संग!
है ख्वाहिश दिल की, रहना तुम मेरे दिल में….
रहना तुम मेरे दिल में………

संगीता संपत
कोलाबा-मुंबई, महाराष्ट्र
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