डॉ. हरदीप कौर ‘दीप’ की कहानी – विवाह

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“सोनिया, मैंने कहा है कि मेरे साथ भाग चल, पर तू है कि मानती ही नहीं!” टिंकू ने सोनिया से कहा। तो सोनिया ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैंने तुमसे प्यार किया है, कोई चोरी नहीं की है। जब मेरे माता-पिता मान गए हैं, तो तुम्हारे माता-पिता भी मान जाएंगे।”
टिंकू ने कहा, “पर मेरे माता-पिता हमारे विवाह के लिए तैयार नहीं हैं और मुझे नहीं लगता कि वे कभी मानेंगे। मैं तुम्हारे सिवा किसी और से विवाह नहीं कर सकता।” सोनिया ने कहा, “तो मैं भी किसी और से विवाह करना नहीं चाहती। यदि तुम्हारे माता-पिता हमारे विवाह के लिए मानेंगे, तभी हम विवाह करेंगे। नहीं तो मैं कुंवारी ही रहूँगी।”

इतना कहकर सोनिया घर की ओर चल दी। टिंकू कुछ देर वहीं खड़ा सोचता रहा कि आखिर सोनिया उसका साथ क्यों नहीं दे रही? अपने नाम की तरह उसकी सोच भी छोटी थी। उसे घर से भाग जाना सबसे आसान तरीका लग रहा था। घर जाकर उसने आज फिर माता-पिता से बात की, लेकिन माता-पिता इस बात के लिए तैयार ही नहीं थे कि टिंकू की पसंद से उसका विवाह करवा दें। टिंकू के दो छोटे भाई थे। वे डरते थे कि इस विवाह से उन पर गलत प्रभाव पड़ेगा। उनके मन में यह भी डर था कि कहीं लड़की टिंकू को उनसे दूर न कर दे।
“अभी तो इन दोनों का विवाह तक नहीं हुआ और टिंकू पहले ही उसके पक्ष की बात करता है। कल को जब वह घर में आ गई, तो कहीं ऐसा न हो कि टिंकू उसी के अनुसार चले और हमारा जीना मुश्किल हो जाए।”
टिंकू ने माता-पिता से कहा, “आप एक बार कम से कम सोनिया और उसके परिवार से मिल लीजिए। मिलने के बाद ही आपको उनके बारे में सही पता चलेगा।”
टिंकू के बार-बार कहने पर माता-पिता सोनिया और उसके परिवार से मिलने के लिए तैयार हो गए। जब दोनों परिवार मिले, तो टिंकू के परिवार को पता चला कि सोनिया उनकी जाति की नहीं है और उसका परिवार लोअर मिडल क्लास से आता है, जबकि टिंकू का परिवार अपर मिडल क्लास से संबंध रखता था। उन्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं था। “अगर लड़की अपनी जाति की नहीं है, तो कम से कम उसका परिवार हमारे बराबर के स्टेटस का होना चाहिए।” टिंकू ने माता-पिता को समझाने की बहुत कोशिश की। उसने कहा, “मैंने उनके घर जाकर नहीं रहना है। मुझे दहेज नहीं चाहिए। लड़की ने मेरे पास आकर रहना है। आप सिर्फ लड़की को देखिए, उसके गुणों को देखिए। वह चाहती तो मेरे साथ भाग सकती थी। मैंने खुद उसे घर से भागने के लिए कहा था, पर वह नहीं मानी।”
माता-पिता को टिंकू की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “ठीक है, एक बार लड़की को गुरु जी के पास लेकर आओ। अब हम जिस गुरु को मानते हैं, उनके सामने ही आखिरी बार मिलकर तय करेंगे कि तुम्हारी शादी उस लड़की से होनी चाहिए या नहीं।”
टिंकू को उम्मीद की किरण दिखाई दी। टिंकू, उसके माता-पिता और सोनिया गुरु जी के सामने बैठे। टिंकू के माता-पिता ने गुरु जी को सारी बात बताई। यह सुनकर गुरु जी ने सोनिया से पूछा, “आजकल तो लड़कियाँ केवल लड़कों से संबंध रखना पसंद करती हैं। यहाँ तक कि माता-पिता की सहमति से भी विवाह होने के बाद अक्सर बच्चे उनसे अलग हो जाते हैं। तुम्हारे माता-पिता मान गए हैं, लेकिन लड़के के माता-पिता नहीं माने। लड़का तुम्हारे साथ भागकर विवाह करने को तैयार है। फिर भी तुम इस बात पर क्यों अटकी हो कि माता-पिता की आज्ञा से ही विवाह करोगी? तुम्हें ऐसा तो नहीं लगता कि यदि लड़के से माता-पिता की अनुमति के बिना विवाह किया, तो घर-परिवार से जायदाद में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा? तुम्हें किस बात का लालच है?”
सोनिया ने कहा, “मेरे भी छोटे भाई-बहन हैं। मैं ऐसा कदम उठाकर अपने माता-पिता के लिए किसी मुसीबत को मोल नहीं ले सकती। भागने के बाद भी हमें इसी समाज में रहना है। भले ही मेरे माता-पिता सहमत हैं, लेकिन यदि मैं ससुराल से बाहर रहूँगी, तो लोग यही कहेंगे कि इस लड़की ने एक लड़के को उसके माता-पिता से छीन लिया।
मेरे भाई-बहनों के साथ-साथ टिंकू के भाइयों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। फिर माता-पिता और बच्चों का संबंध ऐसा होता है, जो कभी नहीं टूट सकता। अगर मैं ऐसा कदम उठाती हूँ, तो मेरे रिश्ते बनने से पहले ही बिगड़ जाएँगे, और ससुराल में तो रिश्ते बनाने पड़ते हैं। जो रिश्ते अभी बने ही नहीं, मैं उन्हें बनने से पहले ही खराब नहीं कर सकती। इसलिए मैं टिंकू से तभी शादी करूँगी, जब माता-पिता की आज्ञा होगी। दोनों परिवार विवाह में शामिल होंगे। बड़े-बुजुर्ग अपना आशीर्वाद देंगे, तभी हमारा विवाह सफल हो पाएगा।”
यह सुनकर गुरु जी बहुत प्रसन्न हुए और टिंकू के माता-पिता से कहा, “निसंकोच दोनों बच्चों का विवाह कर दीजिए। ऐसी सोच वाली लड़की कभी भी आपका अहित नहीं करेगी।”
गुरु जी की आज्ञा और सोनिया के विचार सुनकर टिंकू के माता-पिता बहुत खुश हुए। उनके तीन बेटे थे, लेकिन अब उन्हें एक बेटी भी मिल गई थी। उन्होंने धूमधाम से टिंकू और सोनिया का विवाह किया और सोनिया को बहू नहीं, बेटी के रूप में घर ले आए।

पता – लुधियाना (पंजाब)

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