टीकमगढ़//स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अशरफ अली शाह की स्मृति में नगर भवन पैलेस टीकमगढ़ में एक कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रभारी डी.ईओ. श्री परासर ने की एवंमुख्य अतिथि के रूप में टीकमगढ़ विधायक श्री यादवेन्द्र सिंह बुन्देला एवं नगरपालिका अध्यक्ष श्री अब्दूल गफ्फार जी (पप्पू मलिक) रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ’राना लिधौरी’ व शासकीय जिला पुस्तकालय के लाइबे्ररियन श्री विजय मेहरा एवं बुन्देली कवि प्रभुदयाल श्रीवास्तव रहे। कवि सम्मेेलन का संचालन रविन्द्र यादव ने किया।
अपने उद्वोधन में टीकमगगढ़ विधायक श्री यादवेन्द्र सिंह बुन्देला कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अशरफ अली जी के माता-पिता बचपन में ही गुजर गये थे उनका पूरा जीवन गरीबी एवं संघर्षो में बीता उन्होंने अनेक देश की स्वतंत्रता में अपना विशेष योगदान दिया है।अपने उद्वोधन में नगरपालिका अध्यक्ष श्री अब्दुल गफ्फार जी (पप्पू मलिक) बताया कि अशरफ अली शाह जी ने सन् 1940 से लगभग सभी आंदोलनों में भाग लिया आपको सन् 1943 में ओरछा रियासत से निष्कासित भी कर दिया गया था। आपने अनेक यातनाएँ सहीं एवं कई बार जेल गये।विशिष्ट अतिथि के रूप म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव’राना लिधौरी’ ने बताया कि अशरफ अली शाह को जेल में इतनी अधिक यातनाएँ दी गई कि इनके गले की हड्डी टूट गयी थी एवं आँखों से कम दिखाई देने लगा था। फिर भी येे न तो डरे ना ही कभी झुके।

लाइबे्ररियन श्री विजय मेहरा ने बताया कि अशरफ अली का जन्म सन् 1920 में ओरछा रियासत में हुआ था। आपने झंडा आंदोलन एवं बेगारी आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। कई समय तक भूमिगत रहकर देश की आजादी के लिए काम करते रहे।मीनू गुप्ता ने सुनाया-भारत माता के लिए जो भी लड़ा हैं,उसने सम्मान में सारा जहाँ खड़ा है।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ पढ़ा-
मना रहे हम आप है,आज दिवस बलिदान।
अशरफ जू से है बनी, टीकमगढ़ पैचान।।
पलेरा के रविन्द्र यादव ने पढ़ा –
मिट्टी से बना आदमी,सोने की ख्याहिशे।
फिर कैसे नहीं होगा, परेशान बोलिए।।
अनवर शान साहिल ने ग़ज़ल पढ़ी-हीर तुझको उर मुझे रांझा बताया जायेगा।
जब मुहब्बत की कहानी को सुनाया जायेगा।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ने रचना पढ़ी -हो गए वीर महान इक, खरे नारायण दास।
जनजन में जागृत करी,आजादी की आस।।
इकवाल फ़ज़ा जतारवी ने कलाम पढ़ा- जमीं से आसमां तक आकर देखो।
जहाँ पर मैं हूँ वहाँ पर आके देखौ।
शकील खान ने ग़ज़ल कही- हमने वतन का क़र्ज़ चुकाया है दोस्तो।
सर को कटा के फ़र्ज़ निभाया दोस्तो।।
इनके अलावा विजय मेहरा,रश्मि शुक्ला, पूरनचन्द्र ग्रुप्ता शकील खान,गुलाब सिंह यादव,उमाशंकर मिश्र,वीरेन्द्र चंसौरिया, आदि ने भी शानदार काव्य पाठ कर कवि सम्मेलन को ऊँचाईयाँ प्रदान की।अंत में सभी कवियों को सम्मान किया गया तथा सभी का आभार प्रदर्शन संयोजक जनाब गुलाब अली शाह ने किया।
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*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र