चलो याद आया*
तुम मुझे याद मत आया करो
देखते आँसू मत बहाया करो
नफरत भी आजमाया करो
एक समय ने ही संभाला था
हर समय को आजमाया करो।
देख लेंगे हम बस दिल को समझाया करो
न हरकत न कोई दहसत को भुलाया करो
जब मेरी याद आती है आँखों भींगाया करो
एक वक्त ने ही बेमौत से लुटा जा रहा था
बस हर वक्त को आजमाया करो।
कभी किसी बहाने मुझसे बात कर लिया करो
यूँ ही गम को भुला देने का वादा करो
दिल फिर से दहक गया तुझे देखकर
दखल मुझे मंजूर नही दिल को समझाया करो
नींद भी आती नही मुझे कई रातों से
अपनी बातों से न उलझाया करो
हर जुल्म को सहने को बताया करो।।
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*2 . लक्ष्य है जीत की*
मुझे झुकाने में लगी हो तुम
मगर मैं उठाने में
अगर मैं झुक गया तो तुम
और मैं उठा दिया तो भी तुम
मगर लक्ष्य है जीत की ।
तेरी आँखों मे क्या है मैं नही जानता
मेरी आँखों मे क्या है ये तू जरूर जानती
मुझे पीछे हटाने में लगी हो तुम
मगर मैं आगे बढ़ाने में
अगर मैं पीछे हट गया तो तुम
और मैं आगे बढ़ा दिया तो भी तुम
मगर लक्ष्य है जीत की ।
तुम जमाने से बगावत करो
हमसे नफरत ही करो
मुझे जलाने की बात करती हो
मगर मैं मलहम लगाने की
अगर मैं जल गया तो तुम
और मै मलहम लगा दिया तो भी तुम
मगर लक्ष्य है जीत की।
जिस दिन ये सारा जहां होगा अपना
यकीन कर उस दिन तू होगी अपना
वादा करती हो अलग न होना
मगर मैं वादा करता हूँ कही बिछड़ न जाना
क्योंकि तेरी बातों में वो दम नही
जो मिल जाय हमदोनों को कम सही
मिले तो भी ,न मिले तो भी
दोनों का जान -प्राण एक है
मगर लक्ष्य है जीत की।