जीवन की परिभाषा सुन |
आँखे हुई नम ,छलकी जलधारा ||
पग के कंटक छू कर |
मन में एक आस भर आई ||
न विचलित हो पाऊ कभी मैं |
पग पग संभल जाऊ चलू मैं एक नई डगर ||
दूर बादलो की छाँव में |
देखूँ सूरज की उजली किरण ||
न ठंडी छाँव मिले तो कभी |
एक पल के लिए ठहर जाऊ मैं ||
साथ भी हो ऐसा ,बिलकुल अपने जैसा |
न घबराये कठिनाइयों में , संभाले सबको ऐसा सा ||
गुरु शिक्षा पा धन्य हुई मन की अभिलाषा |
कर्म पथ की प्रेरणा पा चली सारथी बनकर ||
मन – मन मुस्काती सी जीवन बगिया |
नित नए फूल खिलते महकता जीवन सारा ||
जीवन की परिभाषा सुन |
आँखे हुई नम छलकी जलधारा ||
द्वारा – मोनिका नौटियाल ( उत्तराखण्ड )