मां भारती पुकारती
उठो रे सूर साहसी।
ना रहो
तुम तुष्णीम्
चुप्पी अपनी तोड़ दो
जो उठाए धर्म पर शस्त्र
पाद हस्त तोड़ दो।
भारती पुकारती
उठो रे सूर साहसी
जो करे ये दुस्साहस
शस्त्र उस पर वार दो
भारती का नाम लेकर
घर में जाके मार दो।
भारती पुकारती
उठो रे सूर साहसी
उठो रे सूर साहसी।

राज सारस्वत पथिक (राजस्थान)