देखा जो तूने मुझे पहली बार ,
हाथ में कलम व कागज लेके ,
साहित्यकार फुर्सत के क्षण में ,
नदी किनारे व बगीचा में कुछ ,
शब्दों की माला सजाते हैं वो ,
देखा जो तूने मुझे पहली बार ।
हर कोई पाठक मेरी रचना को ,
जब देखते तब तारीफ करते हैं ,
पाठक रचना को पसंद करते हैं ,
गम्भीर व एकाग्र होकर पाठक ,
रचना को देखते पाठक बारंबार ,
देखा जो तूने मुझे पहली बार ।
साहित्यकारों की रचना आपको ,
झंकझोरती व मनमोहित करती ,
हर पाठक को मेरी ओर से प्रणाम ,
सुधी पाठकों को दिल व लगन से ,
रचना को देखने की है मेरी प्रेरणा ,
देखा जो तूने मुझे पहली बार ।