ये हम कहां दिल लगा बैठे……..

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इश्क में हम ये क्या कर बैठे,ये हम कहां दिल लगा बैठे……..

इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

 

ये क्या गुनाह कर बैठे, न जाने क्या हुआ दिल लगा बैठे,
इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

हर दिन हर पल, यूं ही फिजाओं में घूमा करते थे  कभी,
अब हर और दिन हर पल उनकी ही यादों में हैं खो बैठे!
इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

 

नजरें मिली थी कभी उनसे कहीं, एहसास न हुआ  मुझे,
न जाने किस पल उनकी मूरत,अपनी दिल में बसा  बैठे!
इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

मौत भी नहीं आती,यूं झील सी आंखों में दिल डूबा बैठे,
पहले यादें फिर अपना दिल,गहरी सी निगाहों को दे बैठे!
इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

 

अब वो हो चुकी है किसी और की,ये भी जानता है दिल,
फिर भी उसकी तस्वीर को अपने दिल में हम सजा बैठे!
इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

इश्क में हम ये क्या कर बैठे, कहां उनसे दिल लगा बैठे,
ये क्या गुनाह कर बैठे,न जाने क्या हुआ दिल लगा बैठे!
इश्क में हम ये क्या कर बैठे, ये हम कहां दिल लगा बैठे!

 

डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली

डॉ.सूर्य प्रताप राव रेपल्ली 

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