वो कौन…
वो कौन है
जिसने माँ की हथेलियों में
दुआओं की नर्मी महसूस न की?
वो कौन है
जिसने उसकी गोद में सिर रखकर
सारे ग़म हवा में न उड़ा दिए?
जिसे उसकी आँखों की चिंता
एक घने दरख़्त जैसी न लगी,
जिसके साए में हर दर्द
बेमानी हो जाता है।
माँ…
जो थकती नहीं,
जो रुकती नहीं,
जिसके आँचल में
पूरा आसमान समाया होता है।
जिसके स्पर्श से
ज़ख़्म भी फूल बन जाते हैं,
और जिसकी आवाज़ में
पूरी कायनात का सुकून बसा है।
वो कौन है
जिसे माँ से मुहब्बत नहीं?