चांद रात

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शायार बाबर

हर तरफ थी रौशनी हर तरफ था उजाला
एक  मेरे ही  घर अंधेरा  था चांद रात को

गुल खिल गई थी कली मुस्करा रही थी
एक मैं ही उदास  बैठा था चांद रात को

मैं तुम्हारी जिंदगी की सलामती के लिए बाबर
तुम्हारा सदाका  निकाल रहा था चांद रात को

तेरे बगैर कैसी होगी इस बार की ईद मेरी
बस यही  सोच  रहा था मैं  चांद  रात को

मेरी  जिंदगी  की  हर  खुसी  तुम्ही  से थी
मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं था चांद रात को

मै आपने हर लम्हे भुला सकता हू जिंदगी के
मगर  तुम्हें कैसे  भुला पता मैं  चांद रात को

शायार बाबर
बहुआरा बुजुर्ग दरभंगा बिहार
9570235440

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