झील-सी आँखों में तेरे, डूबकर खो जाऊँ मैं
झील-सी आँखों में तेरे, डूबकर खो जाऊँ मैं, हर घड़ी तुझको ही सोचूँ, ख़ुद से भी खो जाऊँ मैं! तेरे लब हँसते मिलें तो दिल मेरा खिलने लगे, तू जो ख़ामोशी से बोले, दर्द भी सह जाऊँ मैं। तेरे केशों की घटाएँ जब भी बिखरें सामने, बादलों को ओढ़ कर फिर, चाँद-सा दिख जाऊँ मैं। […]
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ग़ज़ल