तू ही भगवान राम
तू ही बालक हो , तू ही राम हो , तू ही मर्यादा हो , तू ही राम हो , शिशु रूप में तू ही हो धर्मात्मा , विष्णु रूप में तू ही रखवाला , प्रभु आपकी लीला तो अपरंपार। कोमल – सी चरणों में कृपालु हो , न्याय की तलवार भी तू ही हो […]
तू ही बालक हो , तू ही राम हो , तू ही मर्यादा हो , तू ही राम हो , शिशु रूप में तू ही हो धर्मात्मा , विष्णु रूप में तू ही रखवाला , प्रभु आपकी लीला तो अपरंपार। कोमल – सी चरणों में कृपालु हो , न्याय की तलवार भी तू ही हो […]
नमन करो उस बापू को , जिन्होंने अपना देश आजाद कराया , आखिर हमें वो आजादी मिली नहीं , नव जीवन का नई आजादी हो दोबारा , आजाद हो अपना देश दोबारा । अपना देश आजाद होने का सपना , पुरा हुआ नहीं , हम हिन्दुस्तान के नागरिकों को , यदि आजाद हैं हम हिन्दुस्तानी
आजाद हो अपना देश दोबारा Read More »
कविताप्रेम की घड़ी में मिलन जो हुआ , हर क्षण हर पल प्रेम जो हुआ , मंदिर मस्जिद में होती है मिलन , हाट – बाजार में होती है मिलन , प्रेम की मिलन में होती है आनंद । प्रेम की घड़ी में मिलन जो हुआ , प्रेम की रस में आनंद हीं आनंद ,
प्रेम की घड़ी में मिलन जो हुआ Read More »
कविता*डॉo ब्रजेश बर्णवाल का साहित्यिक परिचय* —————————————————————- इनका नाम डॉo ब्रजेश बर्णवाल है। इनका जन्म 10 जून 1993 को हुआ था। ये अशोक बर्णवाल एवं यशोदा देवी के संतान हैं। ये झारखण्ड राज्य के गिरिडीह में स्थित सिंघो गांव के निवासी हैं। लगभग पांच वर्ष की अवस्था में ही इनके पिताजी का देहावसान हो गया।बचपन
लाख तानों से तेरे आत्मविश्वास को डिगाया जाएगा तुझे तेरी ही क्षमताओं पर शंका करने को उकसाया जाएगा तेरे बस का नहीं है ये हर बार तुझे समझाया जाएगा तेरे मूल्य को तेरी ही नजरों में गिराया जाएगा उस वक्त धैर्य से सब सुन नजरअंदाज करना तुम बस खुद पर ही विश्वास करना क्यूंकि मेहनत
माँ 🙏 तू माता मै लाल तेरी तू अस्तित्व मै परछाई तेरी गर्भ में सीखी मैने गाथा सीखी रामायण और कृष्ण की बाल लीला नमन करु मै माँ तुम्हे तुम ही हो पहली गुरु पिताजी 🙏 तुम मेरी छत ,तुम ही हो ढाल मेरी तुम मुझमें बसा पराक्रम ,तुम ही हो दृढ़ निश्चय मेरा तुम
आइये , सुनते है मनस्तगिति एक स्त्री की , अपने स्वर में कहती रची हुई एक गाथा की , अपने संघर्ष, अपनी अनुभूति और शक्ति को पाने की, यह यात्रा खुद सुनाती है — शांत, दृढ़, और आत्मस्वीकृत स्वभाव में लक्ष्य पास जाने की । यह कविता उस स्त्री की आवाज़ है — जिसने रास्तों
मैं झुकी थी – इसलिए उठ सकी Read More »
कविता_तुम मत बदलना मेरे लिए_ कुछ- कुछ तुम वैसी ही हो जैसे ढलती शाम में आकाश में उमड़ते बादल कुछ स्याह कुछ रक्तिमा कुछ कुछ नीली पीली धूप लिए. कुछ कुछ तुम वैसी ही हो जैसे मक्खन कुछ घी कुछ पिघला मोम बस अब तक नहीं जान पाया एक क्राइटेरिया में तुमको फिट करना. जब
🖋️ तख्ती से टैबलेट तक तख्ती से टैबलेट तक की ये कहानी, कभी हँसी, कभी अश्रु की निशानी। कक्षा की धूल से स्मार्ट स्क्रीन तक, शिक्षक की बदलती पहचान की रवानी। कभी चौक से उड़ता था ज्ञान, अब क्लिक पे खुलते हैं ज्ञान-विधान। पर बच्चों की आँखों से दूर हुआ मन, संस्कार कहाँ हैं —
तख्ती से टैबलेट तक Read More »
कवितादुख का व्यापार सोशल मीडिया का हर तरफ इस तरह प्रभाव छा रहा की इंसान अपना दुख भी बेचता नजर आ रहा कभी खुद को रोते बता रहे कभी मां बाप के आंसू दिखा रहे छुपाया करते थे जिन चीज़ों को उनको खुलेआम जता रहे लाइक्स….व्यूज बढाने के लिए कुछ भी कंटेंट बना रहे अपने
ग़र टूटा दिल, तन्हाई संग होता यहाँ.. ग़र टूटता जब तारा आसमां में, उसे देख मन्नत मांगते हैं यहाँ सभी, न जानें टूटे हुए दिल को देख, है क्यूं हसीं यहां उड़ाते यारों सभी! टूटे दिल की चीखें हैं कौन सुने, हर चेहरा मुस्कुराता है दिखता यहाँ! अंदर की दरारें हैं दिखती नहीं, बस ज़ख्मों पे नमक
ग़र टूटा दिल, तन्हाई संग होता यहाँ.. Read More »
कविताअच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया, था अपना कभी बनाया, है अब बेगाना कर दिया। टूटे अरमानों की चुभन सीने में बसती है अब मेरे, हर साँस यादों की परछाई से, था ऐसा भर दिया! अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया, जो ख्वाब हमनें साथ बुने थे रेशम से कोमल
अच्छा हुआ तुमने मुझसे, अब किनारा कर लिया…. Read More »
कवितावरना इतनी अच्छी सी किस्मत मेरी कहां हो… तेरे झील सी आँखों में मेरी हो दुनियां समाया, माथे पर लगा सिंदूर मेरे प्यार की निशानी हो! तेरी मुस्कान जैसे सुबह की पहली हो किरण, हर अंधेरे को चीरती, रौशनी का वो दर्पण हो,! तेरी आँखें लगे जैसे समंदर की सी हो गहराई, हर राज़ छुपाए
वरना इतनी अच्छी सी किस्मत मेरी कहां हो. Read More »
कविताहै आंसुओं की सैलाब,मेरे इन आँखों में छिपी हुईं, पर साथ उसके, उम्मीद भरी किरण भी छुपी हुई! इरादे बादलों से परे,और निकलेंगी किरणें सुनहरी, जीवन के इन्हीं मुश्किलों में, सीख होती छुपी हुई! पल पल पग पग होगी सफ़र, यूँ कांटों से भरी हुई, कर कोशिश बढ़ा जो भी,सपने उसके साकार हुई! उठ चलो
मुश्किलों से भरी है जीवन,दिखती किरणें हैं उम्मीदों से भरी Read More »
कविताहै पीकर भी न बहके यारों, उसके लिए ये संसार नहीं… हृदय नहीं पत्थर दिल है,जिसको मदिरा से प्यार नहीं, है पीकर भी न बहके यारों,उसके ये लिए संसार नहीं! हो ग़म किसी के जाने का,है साथ तेरे बोतल ही सही, कभी हाथ हो माशूका का,कभी हाथ बोतल ही सही! कोई जो पूछे तुमसे, हर
है पीकर भी न बहके यारों,उसके लिए ये संसार नहीं Read More »
कविताहो इजहारे दिल की बात,आंखों ही आंखों में हम करें… है ख्वाहिश चलें बाग़ में,डाल बाहों में बांह डालकर के, कुछ सफ़र ही सही, साथ चलें हम होकर एक दूजे के! हो चंद बातें ही सही प्यार की, साथ गुजार कर तुमसे, हो इजहारे दिल की बात,आंखों ही आंखों में हम करें! कुछ यूँ झील
हो इजहारे दिल की बात,आंखों ही आंखों में हम करें… Read More »
कविताबन मिसाल लोगों की,फ़िर दुनिया छोड़ने की सोच. खुला हुआ नीला आसमां,ऊँची उड़ान भरने की सोच, है अंधेरा हर तरफ़,दूर तक रौशनी बिखेरनी की सोच! तेरे नज़रों से झलक रही, उम्मीदों से भरी हुई किरणें, उन बुलंदियों तक पहुँच, नीले आसमां छूने की सोच! नित नए अरमान,रंगीन सपनों को दिखा रही दुनिया, है चमचमाती चाँद
बन मिसाल लोगों की,फ़िर दुनिया छोड़ने की सोच. Read More »
कविताहो ग़र आखरी सांस मेरी,बस सांस रुके तेरी बाहों में. है ख्वाहिश चलें बाग़ में,डाल हाथ में हाथ एक दूजे के, मान इसे सफ़र,संग कुछ कदम चलो हमसफ़र बन के! हो चंद बातें ही सही प्यार की,संग संग रह कर तुम्हारे, हो इजहारे दिल की बात,यूँ आंखों ही आंखों में हमारे! कुछ यूँ झील सी आँखों
हो ग़र आखरी सांस मेरी,बस सांस रुके तेरी बाहों में. Read More »
कविताभोर का सूरज मुझे पुकारे दूर हो जा ये रात के अंधियारे बहुत हुई ये तानाशाही अब ना चलेगी तेरी मनमानी मै संघर्ष पथ बढ़ चुकी हु तूफानों से टकराना सीख चुकी हु आते जाते है साएं ये गम के मै इनसे उभरना सीख चुकी हु भोर का सूरज मुझे पुकारे दूर हो जा ये
*नया मोड़* —————————- मन में नयी आगाज़ हुई नए भावों का आगमन हुआ सुसंस्कृत शब्दों का गठजोड़ हुआ पंकील विचारों का परिष्कार हुआ व्यवहार में चरित्र का वास हुआ बुद्धि में विवेक का समन्वय हुआ उदासीनता से रागात्मक वृत्ति हुई कोलाहल में शंखनाद हुआ जड़ता से चेतन हुआ पूर्णिमा दीदी का सान्निध्य मिला तो कविता
फिर बजी है रणभेरी, हाथों में ले लो तलवार दुश्मन की सीमा में घुसके करना होगा संहार सरहद के कोने कोने, देशप्रेम का भाव जगाएं भले शहीद होके भी मरघटों का शृंगार बन जाएं संकट के बादल छाए, समर की बेला मतवाली शोणित का उबाल देखो, आँखों में छाई है लाली पाक के नापाक इरादे,
माँ भारती की पुकार Read More »
कवितामोदी जी को लहर समझो जोगी जी को कहर बिन मतलब की कोई वो बात नहीं करते जो समझा मोदी जी को जो समझा जोगी जो को वो सब कुछ समझ गया मोदी जी जोगी जी पर हम सब हिंदुस्तानियों को गर्व है मोदी जी हमारे त्योहार हैं जोगी जी हमारे पर्व है एक दूजे
माँ का आंचल छोड़ कर युद्ध भूमि में उतरे है है जाबाज सिपाही देश के देश पे कुर्बान होने निकले है राखी,सिंदूर, कंधा, और नन्ही नन्ही उंगलियां छोड़ गांव की गालियां निकले है है बुलावा भारत माता का कहकर देश की शान में निकले हैं माँ का आंचल छोड़ कर युद्ध भूमि में उतरे हैं
माँ का आंचल छोड़ कर युद्ध भूमि में उतरे हैं Read More »
कविताचुटकी भर सिन्दूर की, मांग बड़ी है आज। ऑपरेशन सिन्दूर से , बची हमारी लाज।। शौर्य हमारे सैनिकों का, देख रहा संसार I नेतृत्व हमारा है सबल,कूच-कूच अब मार I चुटकी भर सिन्दूर की ,कीमत दिया बताय। सिंह बना गीदड़ सुनो, घुसा मांद में जाय।। इस पीले सिन्दूर की, महिमा बड़ी अपार। खींच पती को
सिन्दूर (ऑपरेशन सिंदूर) Read More »
कविताआज लहूं देश का खोल रहा पहलगाम की घटना से, अब ना रुकेंगे घुसकर मारेंगें तेरे ही घर हथियारों से। काटेंगे और कुचलेंगें अब तुझको हम अपनें पाॅंवो से, ऐसा ताबीज़ कर देंगे बचके रहना हम पहरेदारों से।। कर देंगे अब ध्वस्त ठिकाने हिजबुल जैश लश्करों के, ऑपरेशन सिंदूर चलाकर देंगे ज़वाब तुम हत्यारों के।
तेरे बिना तो माँ, अधूरा ये जहाँ है… माँ, तेरी यादों में बस जाऊँ , माँ, तेरी ऑचल में छिप जाऊँ… है पुकारती तेरी यादें मुझे इस कदर, हूँ डूब जाती, तेरी बातों में अक्सर मैं माँ, तू ही बरकत, तू ही मन्नत, तू ही मेरी दुआ है, तेरे बिना तो माँ, अधूरा ये जहाँ
तेरे बिना तो माँ, अधूरा ये जहाँ है… Read More »
कविताहमला किया पहले पाकिस्तान ने पहलगाम में , 5 सशस्त्र आतंकियों ने 26 टूरिस्टों को मारे गए , तब भारत ने जवाब दिया ‘ऑपरेशन सिन्दूर ‘ से , ‘ऑपरेशन सिन्दूर ‘ द्वारा पाक के नौ आतंक के , ठिकानों का भारत ने किया मटियामेट , फिर भी पाकिस्तान का अकर खत्म हुआ नहीं , हमला
हमला किया पहले पाकिस्तान पहलगाम में Read More »
कविताऑपरेशन सिंदूर अभी तो शंखनाद हुआ है युद्ध अभी बाकी है अभी धरा स्वरूप सिंदूरी सिंदूर का लिया प्रतिशोध ही अभी तो राम भक्त की सेना से बस पहुंचे हनुमान ही तो ध्वस्त कर दिए तुम्हारे सारे नापाक इरादे ,ठिकाने और साए आतंक के तो सुन लो ये पाक वालो जो निकल पड़े रामभक्त और
अभी तो आगाज हुआ है Read More »
कवितातेरी यादों में बस जाऊं, तेरी ऑचल में छिप जाऊं मां, हूँ पुकारती तुझको, तेरे यादों में ही खो जाती हूँ मै मां! हां तेरी बातों यादों में ही खो जाती हूँ मै मां…… तू ही बरकत, तू ही मन्नत, है तेरे बिना अधूरा जहाॅ हैं, ये कोई रिश्ता,एहसास ही नहीं,मेरी हर सांस
तेरी ऑचल में छिप जाऊं मां, Read More »
कविताहिन्दोस्तान की ताकत है ऑपरेशन सिन्दूर जिसने दुश्मन के इरादे कर दिये हैं चूर पूछ रहा दहशतगर्दो से ऑपरेशन सिन्दूर कौन पहुँचा है जन्नत किसको मिली हुर भारत का यह भरतीय ऑपरेशन सिन्दूर गुटने टेकने के लिए कर देगा उनको मजबूर पहलगाम का बदला ले रहा ऑपरेशन सिन्दूर अपनो को जब अपनो से किया था तुमने दूर हाल बेहाल कर गया उनका ऑपरेशन सिन्दूर उड़ गए होश उनके उड़ गया चेहरे का नूर लहू से रंगी धरती को इंसाफ दिला रहा सिन्दूर उन बेगुनाहों की बद्दुआएं लगेगी
ऑपरेशन सिन्दूर ।operation sindoor Read More »
कविताहैं चारों तरफ घिरे पानी से, सबको पानी की तलाश है, है ज़िन्दगी, फिर भी ज़िन्दगी में ज़िन्दगी की तलाश है! अथाह सागर सी गहराई देखी, जीवन में मैनें भी यारों, है उस पार जाना मुझे, है लगे ये भी कोई जिंदगानी है! हर तरफ़ है भीड़, न जानें ये सफ़र कहां से कहां
है बस चल पड़ते सभी, मंज़िल की सभी को तलाश है…. Read More »
कविताहुए ज़ुल्म इतने मुझ पर, फिर भी यारों मै अडिग रहा, चलता रहा मुश्किलों का दौर, मैं आगे ही बढ़ता रहा! है देखा मैंने जाना भी, उनके उन हर अरमानों को भी, यूँ परेशानियों को देख मेरे,वो मुस्कुराता रहा “प्रताप”, रुक रुक कर मेरे राह पर,है बस कांटे ही बिछाता रहा, सब मुश्किलों का मुकाबला
कर सामना हर चुनौती का मैं, बस आगे ही बढ़ता रहा… Read More »
कविताहो ऐसी ललकार हर तरफ़ से, अब बदला लेना होगा, शस्त्र उठा हाथों में यारों, दुश्मन को ललकारना होगा! सरहद की माटी पुकारे, कब तक जुल्म सहना होगा, उठे दिलों में शौर्य-ज्योति,इस अंधेरे को हटाना होगा! हैं तलवारें भी कहने लगी,हम पर धार नई कब होगी, तैयार हैं बंदूकें सारी,अब हिसाब बराबर करनी होगी!
लहू खौल रहा सबका, अब युद्ध आर-पार का होगा…. Read More »
कविताबेकरार रहता है ये दिल अक़्सर कभी उसको देखने के लिए तो कभी उसको सुनने के लिए बिन उसके मन को कहीं पर भी अब सुकूँ नहीं मिलता जो साये की तरह साथ-साथ चलता रहता है मेरे और फिर मैं भी कभी उसका दामन नहीं छोड़ता हूँ अब दर्दे दिल की दवा भी वही और
बेकरार रहता है ये दिल Read More »
कविताचलो सब भाग चले, सरकार को छोड़, होगा आसान हमारा गुजारा,है लगता नहीं, ये ख़बर फैल रही, हर तरफ़ मेरे यारों, है बदली सरकार,अब किसी की खैर नहीं, जो लूट लिए,और किया आनंद हमनें, ग़र जांच हुआ,कोई साथ अपना देगा नहीं, सुन लो मेरे साथी, निकल लो अब भी, है सरकार के मंसूबे,लगते अब ठीक
है बदली सरकार, अब किसी की खैर नहीं Read More »
कविता